जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाजों और आतंकियों का सहयोग करने वाले कुछ स्थानीय लोगों के अलावा अब खबरी भी सेना का नया सिरदर्द बन गए हैं। इन खबरियों के कारण ही पिछले कुछ समय में सेना को आतंकियों के खिलाफ आपरेशन के दौरान अपने कई बहादुर जवानों से हाथ धोना पड़ा। जी हां कश्मीर में आतंकी हमले रोकने में सेना की विफलता के पीछे उनके अपने ही मुखबिर हैं। सेना को शक है कि फरवरी के दो आतंकी हमलों की खुफिया सूचनाओं में स्थानीय मुखबिरों ने उन्हें गुमराह किया था।
मेल टूडे की खबर के अनुसार स्थानीय स्तर पर सेना के खबरी लगताार डबल क्रॉस कर रहे हैं, वह सेना की गतिविधियों की जानकारी आतंकियों तक पहुंचा रहे हैं जिसकी वजह से सेना को तो ऑपरेशन चलाने में दिक्कत हो ही रही है उसकी कई टीमों को भी आतंकी निशाना बनाने में सफल हो रहे हैं।
सेना के सूत्रों के अनुसार बीते दिनों हाजिन और शोपियां में स्थानीय खबरियों ने सेना को जो भी सूचनाएं दी वो जानबूझकर गलत दी गई थीं। इसकी वजह से सेना को अपने छह जवानों की जान गंवानी पड़ी और मात्र एक आतंकी मारा गया।
ताजा मामले में दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले में आतंकियों से हुई मुठभेड़ में 44 राष्ट्रीय रायफल के तीन जवान शहीद हो गए जबकि एक गंभीर रूप से घायल हुआ।
यह हमला तब हुआ जब कुंगू गांव में आतंकियों के छिपे होने की सूचना पर सेना की एक टुकड़ी उनकी तलाश में निकली थी। मौके पर उनके हाथ कुछ नहीं लगा तो पैट्रोलिंग टीम वापस लौटने लगी, इसी दौरान आतंकियों ने पूरी तैयारी के साथ उन पर हमला बोल दिया। सेना को शक है दोनों ही घटनाओं में मुखबिरों ने आतंकियों को भी ‘अपडेट’ कर दिया कि अमुक सूचना सेना को दे दी है। सेना दोनों घटनाओं की जांच कर रही है।