कश्मीर को सुलगते 70 दिन पूरे हो चुके हैं। लेकिन अभी भी घाटी में अमन-चैन नहीं है। सरकार इस हिंसा को रोकने में पूरी तरह नाकाम साबित हो रही है। धरती पर जन्नत के नाम से मशहूर कश्मीर घाटी दर्द और मातम से कराह रही है। कथित आतंकी बुरहान वाऩी की मौत के बाद यहां हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। कश्मीर घाटी में पिछले सवा दो महीने से हिंसा बरकरार है। इसी हिंसा में जख्मी एक शख्स की अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। इसके बाद पुलवामा के लाडीपोरा में जमकर पथराव व हिसा हुई। अनंतनाग के बिजबिहाड़ा में भी अलगाववादी समर्थकों ने पाकिस्तान के झंडे फहराने के साथ आजादी के नारे लगाए। जुमे के दिन कश्मीर के विभिन्न हिस्सों में हुए हिसक प्रदर्शनों में करीब दो दर्जन लोग घायल हो गए। वहीं, 70 दिन से जारी हिसा में मरने वालों की संख्या 88 पहुंच गई है।
सूत्रों ने बताया कि इलाके में ‘जंगल राज’ जैसे हालात कायम होने की खुफिया सूचनाएं मिलने के बाद करीब 4,000 अतिरिक्त सैनिकों को स्थिति सामान्य बनाने के काम में लगाया गया है। हालांकि, उन्हें स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वे बल प्रयोग कम से कम करें। सूत्रों ने बताया कि इलाके में हालात ऐसे हैं कि आतंकवादियों और उनसे हमदर्दी रखने वाले लोग हावी हैं, वे प्रदर्शन कर रहे हैं और सड़कें जाम कर रहे हैं।
अगले स्लाइड में पढ़ें – घाटी में हिंसा के बाद कैसे थमी जिंदगी की रफ्तार