सिंगरौली में हिंडाल्को इंडस्ट्रीज के विकसित किये जाने वाले एल्युमिनियम उत्पाद आधारित सेज को भी गैर अधिसूचित कर दिया गया है। इसके अलावा, पाश्र्वनाथ डेवलपर्स के इंदौर में विकसित किये जाने वाले आईटी सेज की अधिसूचना रद्द कर दी गयी है।
टीसीएस, इन्फोसिस और इम्पेटस इंदौर के अलग.अलग स्थानों पर अपने आईटी सेज विकसित कर रही हैं। तीनों कम्पनियों के आईटी सेज वर्ष 2013 में अधिसूचित हुए थे।
जानकारों के मुताबिक केंद्र सरकार द्वारा सेज पर न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) और लाभांश वितरण कर (डीडीटी) लगाने की मुख्य वजह से मध्यप्रदेश ही नहीं, बल्कि देश भर में सेज परियोजनाओं को लेकर उद्योग जगत का रझान घटा है।
पीथमपुर औद्योगिक संगठन के प्रमुख गौतम कोठारी ने कहा, ‘हमने पूर्ववर्ती यूपीए सरकार से मांग की थी कि सेज पर से मैट और डीडीटी वापस लिये जायंे। लेकिन तब हमें राहत नहीं मिली। फिलहाल एनडीए केंद्र की सत्ता में है। लेकिन यह सरकार भी हमारी मांग के सिलसिले में अब तक कोई फैसला नहीं ले सकी है।’ उन्होंने कहा कि मैट और डीडीटी के भारी बोझ के चलते सेज में पूंजी लगाकर नयी इकाई स्थापित करना उद्योगपतियों के लिये बेमानी साबित हो रहा है।