दिल्ली
मोदी संसद में उपस्थित हो और व्यंग ना हो, ये हो नहीं सकता। कांग्रेस ने जीएसटी पर प्रधानमंत्री मुक्त संसद का नारा दिया था। जिसके बाद आज लोकसभा में जीएसटी पेश करते और चर्चा के समय खुद प्रधानंत्री मोदी मौजूद रहे। प्रधानमंत्री ने आज लोकसभा में जीएसटी पर हो रही चर्चा में भी हिस्सा लिया। प्रधानमंत्री मोदी ने ‘जीएसटी के जन्मदाता’ होने के कांग्रेस के दावे पर हास्य-विनोद के अंदाज में आज कहा कि जन्म कोई दे, लालन पालन कोई करे। कृष्ण को जन्म किसी ने दिया, कृष्ण को बड़ा किसी ने किया।
लोकसभा में जीएसटी पर संविधान :122वां संशोधन: विधेयक पर चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस समय वह सभी रजनीतिक दलों, सभी राज्य सरकारो समेत सभी का धन्यवाद करने के लिए खड़े हुए हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ एक ऐसा निर्णय हम कर रहे हैं जिसमें राज्यसभा, लोकसभा, 29 राज्य और जिनके कोई कोई नुमाइंदे जीत कर आए हैं.. ऐसे 90 राजनीतिक दल, उन सब ने एक व्यापक मंथन करके, विचार मंथन करके आज हमें यहां पहुंचाया है। ’’ मोदी ने कहा, ‘‘ इसलिए यह बात सही है कि जन्म कोई दे, लालन पालन कोई करे। कृष्ण को जन्म किसी ने दिया, कृष्ण को बड़ा किसी ने किया। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘ ये भारतीय लोकतंत्र की उच्च परपंराओं की विजय है। ये सभी राजनीतिक दलो की विजय है। ये पहले की और वर्तमान की सभी सरकारों के योगदान से है और इसलिए कौन जीता कौन हारा..इसके लिए मैं नहीं मानता कि विवाद की जरूरत है।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि अगस्त क्रांति का बिगुल आठ अगस्त को बजा था और महात्मा गांधी ने इसी दिन भारत छोड़ो के मंत्र के साथ देश को आजादी के पूरे आंदोलन में एक बहुत बड़ी तीव्रता के साथ आंदोलित किया था। नौ अगस्त को आजादी के दीवानों पर बहुत सारे जुल्म ढाए गए थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज आठ अगस्त को अगस्त क्रांति के 75 साल हो रहे हैं। उन सभी आजादी के दीवानों को स्मरण करते हुए आज का दिन ‘कर आतंकवाद’ से मुक्ति का दिवस होगा। उस दिशा में हमारी संसद..दोनों सदनों के सभी सांसद, मिलकर एक बहुत बड़ा अहम कदम उठाने जा रहे हैं। मोदी ने कहा कि हमारे देश में टैक्स को लेकर कैसी स्थिति रही है, कुछ लेागों को यह मालूम होगा। टैक्स को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक मसला आया था और विषय यह आया था कि नारियल को फल माना जाए कि सब्जी माना जाए। नारियल पर फल के आधार पर टैक्स हो या सब्जी के आधार पर। कर को लेकर कैसे कैसे उतार चढ़ाव आए हैं उसे समझने के लिए यह घटना अपने आप में पर्याप्त है।
उन्होंने कहा कि जब हम रेलवे की तरफ देखते हैं तो एक भारत की अनुभूति आती है। जब डाकखाने देखते हैं, जब आल इंडिया सर्विसेज को देखते हैं तो एक महक आती है। जब हम डिजिटल इंडिया की बात करते हैं , सागरमाला की बात करते हैं तो एक भारत, श्रेष्ठ भारत की अनुभूति होती है। ये सारे उपक्रम इस बात को बल देते हैं और उसी सिलसिल में आज हम जीएसटी का एक नया मोती इस माला में पिरो रहे हैं जो एक भारत के भाव को ताकत देता है