सर्जिकल स्ट्राइक की पूरी कहानी: भारतीय जवान थे पूरी तरह तैयार … बस अंधेरी रात का था इंतजार

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सर्जिकल स्ट्राइक
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पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक के बाद.. भारत की जनता ने देखा कि कैसे भारत ने पाकिस्तान को मुंह तोड़ जवाब दिया। आतंकवाद को हवा देने वाले पाकिस्तान को भारतीय सेना ने ईंट तका जवाब पत्थर से दिया। हर देशवासी ने सेना के इस एक्शन को सम्मान के तौर पर देखा। लेकिन सबके दिमाग में ये जानने के उत्सुकता है कि आखिर कैसे हमारे सैनिकों ने इस इतने बड़े ऑपरेशन को अंजाम दिया ? इस आॉपरेशन के लिए सेना के जवानों ने क्या खास तैयारी की थी? तो आप ये पूरी खबर पढ़िए और जानिए कैसे पाकिस्तान की धरती पर उतरे भारतीय कंमाडो और कैसे दिया गया सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम.. (ये पूरी कहानी नवभारत टाइम्स के सौजन्य से हम आपतक पहुंचा रहे हैं)

दुश्मन पर आसमान से सटीक हमले करने के लिए मशहूर भारतीय सेना की विशिष्ट सैन्य टुकड़ी ‘पैराशूट रेजिमेंट’ की बहादुरी की अनगिनत कहानियों में उस वक्त एक और पन्ना जुड़ गया है। जब बीते साल 29 सितंबर को लाइन ऑफ कंट्रोल के दूसरी ओर आतंकियों के लॉन्च पैड्स को तबाह करने गई टीम में इस रेजिमेंट के जवान भी शामिल हैं। पैरा कमांडोज और पैराट्रूपर्स से लैस इस टीम को इस साल 26 जनवरी को सम्मानित किया गया। कई अफसरों को मेडल्स से नवाजा गया है।

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इस ऑपरेशन की प्लानिंग और उसे अंजाम देने में बहुत सारे लोगों का हाथ है। हालांकि, फील्ड में जाकर दुश्मनों पर मौत बनकर बरसे इन कमांडोज को मेडल्स क्यों मिले, यह बताने के लिए सरकार ने इस ऑपरेशन के डिटेल्स शेयर किए हैं । इससे जुड़े दस्तावेज द टाइम्स ऑफ इंडिया के पास हैं। दस्तावेज से पता चलता है कि सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम देने में 19 पैरा कमांडोज का अभिन्न योगदान है। डॉक्युमेंट्स में इस ऑपरेशन को फील्ड में अंजाम देने की पूरी कहानी दर्ज है। इसके मुताबिक, पैरा रेजिमेंट के 4th और 9th बटैलियन के एक कर्नल, पांच मेजर, दो कैप्टन, एक सूबेदार, दो नायब सूबेदार, तीन हवलदार, एक लांस नायक और चार पैराट्रूपर्स ने सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया।

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4th पैरा के अफसर मेजर रोहित सूरी को कीर्ति चक्र और कमांडिंग ऑफिसर कर्नल हरप्रीत संधू को युद्ध सेवा मेडल से नवाजा गया है। इस टीम को चार शौर्य चक्र और 13 सेवा मेडल भी दिए गए हैं। कर्नल हरप्रीत संधू को लॉन्च पैड्स पर दो लगातार हमले करने का काम सौंपा गया था। हमले की योजना बनाने और उसके सफल क्रियान्यवन के लिए ही उन्हें युद्ध सेवा मेडल से नवाजा गया है।

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दरअसल जम्मू-कश्मीर के उड़ी में सेना के कैंप पर हुए आतंकी हमले के बाद से ही भारतीय सेना ने पाक अधिकृत कश्मीर स्थित टेरर लॉन्च पैड्स पर सर्जिकल स्ट्राइक करने की योजना बनानी शुरू कर दी थी। हालांकि, मिशन को अंजाम देने के लिए अमावस्या की रात का इंतजार किया गया।

आखिरकार वह घड़ी आ ही गई। 28 और 29 सितंबर की दरमियानी रात को मेजर रोहित सूरी की अगुआई में आठ कमांडोज की एक टीम आतंकियों को सबक सिखाने के लिए रवाना हुई।

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