संसद की एक समिति ने रक्षा मंत्रालय के बजट में पू्जीगत आवंटन कम करने के लिए सरकार को यह कहते हुए फटकार लगायी है कि इससे सशस्त्र सेनाओं के आधुनिकीकरण का अभियान प्रभावित होगा। समिति के मुताबिक, अगले वित्तीय वर्ष के लिए 2.81 लाख करोड़ रुपये का रक्षा बजट सशस्त्र सेनाओं के आधुनिकीकरण के लिए बिल्कुल अपर्याप्त है और इसका असर सैन्य तैयारियों पर भी पड़ सकता है।
बीसी खंडूरी की अध्यक्षता वाली कमेटी ने संसद में गुरुवार को पेश की गई अपनी रिपोर्ट में हैरानी जताई कि रक्षा बजट के लिए कम धनराशि क्यों आवंटित की गई। कमेटी ने कहा कि रिपोर्ट को प्रधानमंत्री कार्यालय भी भेजा गया है और उनसे हस्तक्षेप कर बजट बढ़ाने की उम्मीद की गई है।
समिति ने इस बात का भी संज्ञान लिया है कि जीडीपी के प्रतिशत के हिसाब से भी रक्षा व्यय वर्ष 2000-2001 के 2.36 फीसदी की तुलना में वर्ष 2017-18 में घटकर केवल 1.56 फीसदी रह गया है। कमेटी ने कहा कि यह बजट सशस्त्र सेनाओं के आधुनिकीकरण के लिए काफी कम है। समिति ने नौसेना का भी उदाहरण दिया कि उनके पास पुराने हथियार हैं। साथ ही अन्य संसाधनों की भी भारी कमी है।
वायुसेना ने रक्षा मंत्रालय के सामने अपनी रिपोर्ट पेश की है जो बेहद निराशाजनक है। वायुसेना के मुताबिक, अगले 10 साल में उसके पास 33 से घटकर सिर्फ 19 स्क्वाड्रन रह जाएंगे। वायुसेना ने बताया कि 2027 तक मिग-21, मिग-27 और मिग-29 विमानों के 14 स्क्वाड्रन रिटायर हो जाएंगे। 2032 तक यह संख्या 16 तक घट जाएगी।
समिति ने मौजूदा स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि ये हालात अच्छे नहीं हैं और वायु सेना को उपलब्ध करायी जा रही राशि उसकी जरूरतों के अनुरूप नहीं है।