संविधान पीठ का ये फैसला बिहार सरकार द्वारा 429 प्राइवेट संस्कृत स्कूलों को अपने हाथ में लेने के लिए 1989 से 1992 के बीच एक के बाद एक कई अध्यादेशों को जारी करने के खिलाफ दायर याचिका पर आया है। कोर्ट ने अपने फैसले में इन सभी अध्यादेशों को संविधान के साथ धोखा करार दिया। बहुमत से दिए गए फैसले में कोर्ट ने कहा अध्यादेशों को बार-बार लाना संवैधानिक रूप से अस्वीकार्य है क्योंकि संसदिय लोकतंत्र में विधायिका के पास ही कानून बनाने की शक्ति होती है।
आपको हम बता दें कि केंद्र में मोदी सरकार ने कई मौकों पर एक ही बिल को संसद में पास ना कराके सीधे अध्यादेश के जरिए कानून बनाने का काम कर रही थी। अभी हाल ही में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने भी सरकार के इस कदम पर नाखूशी जाहिर कर चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पनी का बहुत ही दुरगामी प्रभाव होगा। अब शायद सरकारें बार बार अध्यादेश लाने से बचेगी।