राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सियासत तेज हो गई है। बीजेपी की ओर से प्रबल दावेदार लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी पर बाबरी मस्जिद प्रकरण में आपराधिक साजिश के मामले पर सुनवाई फिर से शुरू होने के कारण वे इस पद की दौड़ से बाहर हो गए हैं। ऐसे में विपक्ष की ओर से संयुक्त उम्मीदवार उतारने की कोशिशें शुरू हो गई हैं।
बदले सियासी हालात में अब खुद सोनिया गांधी विपक्षी एकता के लिए काफी सक्रिय हो गई हैं। खुद सोनिया कई विपक्षी नेताओं को फोन करके मिलने के लिए बुला रही हैं। इस क्रम में सबसे पहले सीताराम येचुरी, नीतीश कुमार, डी राजा सरीखे नेता सोनिया से 10 जनपद जाकर मुलाकात कर चुके हैं। सूत्रों के मुताबिक मंगलवार को सोनिया से मिलकर जेडी यू नेता शरद यादव ने उन्हें सलाह दी कि वे राष्ट्रपति चुनाव पर जल्दबाजी न करें और पहले कश्मीर, सुकमा हमले जैसे मसलों पर कदम उठाएं।
राष्ट्रपति चुनावों के लिए संभावित उम्मीदवारों में यादव के नाम की भी चर्चा हो रही है। हालांकि उन्होंने इस बैठक को महज ‘‘शिष्टाचार मुलाकात’’ बताया। गौरतलब है कि शिवसेना ने संघ प्रमुख मोहन भागवत या फिर एनसीपी नेता शरद पवार को राष्ट्रपति बनाने की वकालत की है।
करीब 45 मिनट तक चली मुलाकात
पिछले दिनों सोनिया ने शरद यादव को भी मिलने के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन उन दिनों यादव दौरे पर थे, लेकिन जैसे ही वह दिल्ली पहुंचे, सोनिया से मिलने 10 जनपथ भी पहुंच गए। मंगलवार को शरद यादव की सोनिया से मुलाकात तकरीबन 45 मिनट तक चली।
सूत्रों के मुताबिक शरद यादव ने सोनिया गांधी से सबसे पहले विपक्षी एकता के लिए पहल करने की गुजारिश की। साथ ही यह भी कहा कि, राष्ट्रपति चुनाव को लेकर अभी समय है, इसमें जल्दबाजी नहीं की जानी चाहिए। पहले से पत्ते खोलने पर एनडीए सरकार उसका फायदा उठा सकती है। ऐसे में फिलहाल राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की नाम की चर्चा के बजाय विपक्षी गोलबंदी की कोशिशें होनी चाहिए। साथ ही ध्यान में रखना चाहिए कि क्या एनडीए सरकार विपक्ष के साथ आपसी सहमति का राष्ट्रपति उम्मीदवार देने की कोई पहल करती है।