बता दें कि साल 2015 में यह आंकड़ा 195 था, जोकि इस साल के 371 के मुकाबले काफी कम था।
गौरतलब है कि हिजबुल कमांडर बुरहान वानी के मुठभेड़ के बाद फैली हिंसा में काफी लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी थी। जिस कारण पिछले साल के मुकाबले घाटी में इस साल ज्यादा नागरिकों की मौते हुईं। वर्ष 2015 में मारे गए 195 लोगों में 100 आतंकी, 12 पुलिसकर्मी, 41 नागरिक, 35 सेना के जवान, 5 बी.एस.एफ. जवान और 2 सी.आर.पी.एफ. शामिल है जबकि 2014 में मारे गए 220 लोगों में से 106 आतंकी, 17 पुलिसकर्मी, 52 नागरिक, 39 सेना के जवान, 4 बी.एस.एफ. कर्मी और 2 सी.आर.पी.एफ. जवान शामिल थे।
वहीं सुरक्षा बलों के लिए यह राहत की बात रही कि उन्होंने इस साल कई बड़े आतंकियों का खात्मा किया जो काफी समय से सुरक्षा बलों के लिए सिरदर्द बने हुए थे। इन खूंखार आतंकियों में हिजबुल कमांडर बुरहान वानी, सज्जाद अहमद, शारिक अहमद भट्ट, मुश्ताक अहमद हारु, पाकिस्तानी आतंकी अबु उस्मान उर्फ जरार, पुलिसकर्मी से आतंकी बना मुफीद बशीर, आदिल अहमद, लश्कर कमांडर अबु उशाका, बिलाल अहमद भट्ट, इशाक अहमद उर्फ निवटन, आशिक अहमद, हिजबुल कमांडर दावूद शेख, पुलिसकर्मी से आतंकी बना नसीर अहमद पंडित और उसका सहयोगी वसीम अहमद मल्ला, इश्फाक डार, इश्फाक बाबा और हसीब अहमद पाला समेत कई आतंकी शामिल हैं। वहीं इस साल सेना पर आतंकियों ने कुछ बड़े हमलों को अंजाम दिया जिनमें उरी आतंकी हमला, नगरौटा हमला और पंपोर हमला आदि प्रमुख हैं।