सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब: धार्मिक गुरुओं के खिलाफ कैसे चल सकता है चुनाव कानून के तहत मामला ?

0
सुप्रीम कोर्ट
Prev1 of 2
Use your ← → (arrow) keys to browse

देश की सबसे बड़ी अदालत ने धर्म और राजनीति को मिलाना संविधान की भावना के खिलाफ बताया। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि संवैधानिक योजना का सार यही है कि राजनीति और धर्म अलग अलग रहें।

चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली सात न्यायाधीशों की बेंच ने पूछा कि जो व्यक्ति न तो खुद चुनाव लड़ा और न ही विजयी उम्मीदवार बना, उसके खिलाफ कैसे जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत कथित रूप से भ्रष्ट क्रियाकलाप अपनाने का मामला चल सकता है।

इसे भी पढ़िए :  सुलग रहा है सहारनपुर, पूरे शहर में धारा144 लागू, मोबाइल इंटरनेट और मैसेजिंग सर्विस पर रोक

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें देखना होगा कि क्या ये व्याख्या संविधान की धर्मनिरपेक्ष प्रकृति के अनुरूप होगी। क्या धर्म को चुनाव का हथियार बनाने की इजाजत दी जा सकती है। आपको बता दें कि इस मामले की अगली सुनवाई मंगलवार को होगी।

इसे भी पढ़िए :  इस परिवार ने 30 साल पहले सुप्रीम कोर्ट में जीता था राष्ट्रगान ना गाने का केस

कोर्ट इस कानून की धारा 123 (3) के ‘दायरे’’की जांच कर रहा है जो ‘भ्रष्ट क्रियाकलापों’ वाली चुनावी कदाचार से संबंधित है।

इसे भी पढ़िए :  मोदी और पुतिन के साझा बयान में रूस ने साफ साफ कहा, आतंकवादी और उनके समर्थक बर्दाश्त नहीं

पूरी खबर पढ़ने के लिए अगले स्लाइड में जाएं

Prev1 of 2
Use your ← → (arrow) keys to browse