26 मई को मोदी सरकार के तीन वर्ष पूरे हो रहे हैं। इस मौके पर केंद्र सरकार ने 26 मई से लेकर 15 जून तक देशभर के 900 शहरों में ‘मोदीफेस्ट’ मनाने का फैसला किया है। मोदी खुद इस ‘फेस्ट’ की शुरुआत असम के गुवाहटी में एक जनसभा को संबोधित करने के साथ धोला-सदिया पुल का उद्घाटन करके करेंगे।
इस मौके पर पीएम मोदी जनता के सामने तीन साल में किए गए कामों को रखेंगे। उन्होंने बीती रात ट्वीट करके कहा कि वे असम में रहेंगे और कई कार्यक्रमों में भाग लेंगे। वे असम की जनता से बातचीत करने के इस अवसर का उत्सुकता से इंतजार कर रहे हैं।
2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को जबरदस्त जीत दिलाने के बाद उस साल 26 मई को मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। असम में वह एम्स और एक कृषि अनुसंधान संस्थान की आधारशिला रखेंगे। प्रधानमंत्री 9.15 किलोमीटर लंबे ढोला-सादिया पुल का उद्घाटन करेंगे जिससे असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच यात्रा का समय छह घंटे से कम होकर एक घंटा रह जाएगा। मोदी ने असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल को उनकी सरकार के एक साल पूरा होने पर बधाई भी दी।
देश के सबसे लंबे पुल की खास बातें
धोला सदिया देश का अब तक का सबसे लंबा पुल है। 950 करोड़ रुपये में बनकर तैयार हुए इस पुल का निर्माण 2011 में शुरू हुआ था। इसे पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप में बनाया गया है।
मौजूदा समय में तेजपुर में कलिया भोमोरा के बाद अगले 375 किमी तक ब्रह्मपुत्र नदी पर कोई पुल नहीं है। नदी के दोनों तटों के आर-पार सामान ले जाने के लिए पानी का ही रास्ता है, लेकिन यह पुल बन जाने से स्थानीय लोगों को खासा फायदा होगा और नदी के दोनों तरफ रहने वाले लोगों के करीब 8 घंटे तक बचेंगे।
इस पुल के चालू होने से असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच यात्रा के समय में 4 घंटे तक की कटौती होगी। इस पुल के बन जाने से स्थानीय लोगों को नजदीकी रेलवे स्टेशन तिनसुखिया और डिब्रूगढ़ एयरपोर्ट पहुंचने में आसानी होगी। दो लाइन के इस पुल का डिजाइन इस प्रकार से किया गया है कि वह 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ियां चल सके।
देश का यह सबसे लंबा पुल 60 टन के युद्धक टैंक के भार को झेल सकता है। ये पुल इसलिए भी खास है, क्योंकि यहां से चीन बॉर्डर की हवाई दूरी करीब 100 किमी है। इस पुल के जरिए सेनाओं की चीन बॉर्डर (वैलोंग-किबिथू सेक्टर) तक आवाजाही आसान हो जाएगी। असम के उत्तरी और दक्षिणी इलाके के इस पुल से जुड़ने के बाद विकास की पहुंच असम के पूर्वोत्तर इलाके तक पहुंचेगी।