आज चांद जरूर देखना: 68 साल बाद आज दिखेगा सुपरमून, सदी के सबसे बड़े चांद का जरूर करें दीदार

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सुपरमून
68 साल बाद आज पहली बार आप चांद का नया अवतार देखेंगे। आज कार्तिक पूर्णिमा की रात आपको सबसे बड़ा और चमकीला चांद दिखने को मिलेगा। ये पृथ्वी से करीब 50 हज़ार किलोमीटर करीब होगा। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने कहा है कि सोमवार को निकलने वाला पूर्ण चंद्रमा (सुपरमून) पिछले 68 सालों के बाद पृथ्वी के सबसे करीब होगा।नासा ने ये भी कहा है कि पृथ्वी के लोगों को इस तरह की घटना के दीदार के लिए साल 2034 तक इंतजार करना पड़ सकता है।
26 जनवरी 1948 के बाद रविवार को पहला मौका था जब चंद्रमा धरती के सबसे करीब आया। इसकी पृथ्वी से दूरी 3 लाख 84 हजार 400 किमी थी। आकार भी 14 प्रतिशत बड़ा और 20 फीसदी ज्यादा चमकदार नजर आया। लेकिन आज ये चांद और भी खास होगा। क्योंकि आज से पहले शायद ही आपने इतना बड़ा चांद देखा होगा।

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विशेषज्ञ बता रहे हैं कि इस रात को दिखने वाला चांद आम पूर्णमासी को दिखने वाले चांद की तुलना में 14 फीसद ज्यादा बड़ा और 30 फीसद तक ज्यादा चमकीला दिखेगा। सुपर मून शब्द का पहली बार प्रयोग करीब 30 साल पहले एस्ट्रोलॉजर रिचर्ड नोएल ने किया था।
यहां पढ़ें – सुपरमून की खास बातें
  1. पृथ्वी से चांद की दूरी सबसे कम
  2. 1948 के बाद यानी क़रीब 68 साल बाद सुपर मून
  3. जब चांद पृथ्वी के सबसे क़रीब होता है तब चांद से पृथ्वी की दूरी क़रीब 3,56,508 किलोमीटर होती है
  4. आम दिनों में चांद की दूरी पृथ्वी से 3,84,402 किलोमीटर होती है
  5. जब चांद पृथ्वी से सबसे दूर होता है तब ये दूरी चार लाख छह हज़ार किलोमीटर के क़रीब होती है…
  6. ऐसे में सबसे दूर और सबसे क़रीब के चांद के बीच का अंतर 50 हज़ार किलोमीटर होता है
  7. यह दूरी तब होती है जब सबसे दूर के चांद और सबसे क़रीब के चांद के दिन पूर्णमासी हो
  8. सबसे दूर के चांद से सबसे क़रीब का चांद यानी सुपरमून 14 फ़ीसदी बड़ा होता है
  9. सबसे दूर के चांद से सबसे क़रीब का चांद यानी सुपरमून 30 फ़ीसदी चमकीला होता है
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ऐसे करें सुपरमून का दीदार 

चांद की इस खूबसूरती को निहारने के लिए सूर्यास्त के बाद पूर्व दिशा में करीब आठ बजे के आस-पास देखिएगा। यह अनुमान लगाया गया है कि उत्तरी गोलार्द्ध में सूर्यास्त के बाद चंद्रमा उदित होगा, जबकि दक्षिणी में सूर्यास्त से पहले चंद्रमा उदित होगा। चंद्रमा करीब 8.09 बजे 356,111 किमी की दूरी पर धरती के पास से गुजरेगा। यानी देखा जाए, तो साल 1948 के बाद यह धरती के काफी करीब से गुजरेगा। आम तौर पर, सुपर मून चमकीली पूर्णमासी की तुलना में 15 फीसद तक अधिक चमकीला दिखता है और यही वजह है कि फुल मून में चांद की छटा देखने लायक होती है।

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