तीन तलाक मामला: मोबाइल, खत, मेल और मैसेज से दिए गए तलाक को भी मिली मान्यता, जरूर पढ़ें

0
5 of 5Next
Use your ← → (arrow) keys to browse

इसी साल 13 अक्टूबर को तीन तलाक का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में जाने के बाद तीन तलाक जैसे महिलाओं के विरुध कुरीतियों को ख्तम करने और यूनिफॉर्म सिविल कोड बनाने के लिए लॉ कमीशन ने आम नागरिकों से राय लेने का फैसला लिया था… जिसे मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (MPLB) ने गलत माना है। MPLB का कहना है कि समान नागरिक संहिता इस देश के लिए अच्छा फैसला नहीं है। इस देश में कई धर्मों और संस्कृतियों के लोग रहते हैं और हमें उन्हे सम्मान देना चाहिए।

इसे भी पढ़िए :  पाकिस्तान के समर्थन में आया चीन! रोका ब्रह्मपुत्र का पानी

मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुसलमीन यानी एमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने भी प्रश्नावली में पूछे गए 16 सवालों को यूनिफॉर्म सिविल कोड के पक्ष में होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इसे और भी ऑब्जेक्टिव होना चाहिए था। ओवैसी ने कहा कि हमारी पार्टी ने लॉ कमिशन की प्रश्नावली का जवाब देने का फैसला किया है।

इसे भी पढ़िए :  तीन तलाक और बीफ बैन के समर्थन में यह मुसलमान भाजपा नेता, कहा- पलटवा सकते हैं बीजेपी का रुख

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस जारी कर कहा कि लॉ कमिशन के 16 सवालों की लिस्ट धोखाधड़ी है। इसमें मौजूद सवाल एकतरफा हैं। यूनिफॉर्म सिविल कोड इस देश में संभव नहीं है। बोर्ड का कहना है कि मुस्लिमों ने भी इस देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी है लेकिन उनकी भागीदारी को हमेशा नजरअंदाज कर दिया जाता है। इस देश का संविधान हमें अपने धर्म को मानने की छूट देता है।

इसे भी पढ़िए :  देखिए मोदी- इरानी और दूसरे नेताओं के संसद में सोने वाले पूराने फोटो-वीडियो

नीचे वीडियो में देखिए – देश और दुनिया के पूरे घटनाक्रम पर एक नजर… बड़ी सुर्खियां और एक्सक्लूसिव खबरें, GOOD MORNING COBRAPOST में

देश और दुनिया के पूरे घटनाक्रम पर एक नजर… बड़ी सुर्खियां और एक्सक्लूसिव खबरें, GOOD MORNING COBRAPOST में

5 of 5Next
Use your ← → (arrow) keys to browse