तीन तलाक मामले पर जहां एक तरफ केन्द्र सरकार इसे महिलाओं के अधिकारों का हनन बता रही है, वहीं सुप्रीम कोर्ट भी इसके खिलाफ है ऐसे में पत्नी को मोबाइल फोन पर दिए गए तलाक के एक मामले में दारुल उलूम देवबंद ने फतवा जारी कर दिया है। फतवे में कहा गया है कि इस्लामी शरीयत कानून के तहत तलाक के समय औरत का हाजिर होना जरूरी नहीं है। अगर मर्द ने होश में तलाक दिया है तो वह तलाक माना जाएगा। हरियाणा के हथीन के एक मामले में देवबंदी उलमा ने फतवा जारी किया है, इसमें कहा गया है कि खत, मेल या मैसेज में लिखा गया तीन बार तलाक भी अब पुष्टि के बाद मान्यता मिल गई है। इस तलाक को दिल्ली की फतेहपुरी मस्जिद ने भी वैद्य करार दिया है। लेकिन फवा जारी होने के बावजूद मेव मुस्लिम पंचायत इस मुद्दे पर 29 दिसंबर को एक बड़ी पंचायत में फैसला करेगी।
दरअसल पत्नी को मोबाइल फोन पर दिए गए तलाक के एक मामले में दिल्ली की फतेहपुरी मस्जिद और देवबंद स्थित दारूल-उल-उलूम स्थित इस्लामी संस्थाओं ने फतवा जारी कर दिया है। यह फतवा मलाई गांव के निवासी नसीम अहमद की याचिका पर दिया गया है। फतवे में कहा गया है कि इस्लामी शरीयत कानून के तहत तलाक के समय औरत का हाजिर होना जरूरी नहीं है।
फतवे में कहा गया है कि अगर मर्द ने होश में तलाक दिया है तो वह तलाक माना जाएगा। इस फतवे पर दिल्ली की फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम मुफ्ती डॉक्टर मुकर्रम ने हस्ताक्षर किए हैं। दूसरे फतवे पर देवबंद के कई आलिमों के हस्ताक्षर हैं। नसीम का निकाह 15 मई 2011 को राजस्थान के अलवर जिले की युवती के साथ हुआ था। नसीम अहमद ने मोबाइल फोन से अपनी पत्नी को तलाक देने का दावा किया था। इस पर पिछले 3 दिनों से पंचायतों का दौर जारी था।
पंचायत में भी दो गुट बन गए। एक गुट का कहना था कि मोबाइल पर दिया गया तलाक नाजायज है, जबकि दूसरा गुट इसे जायज बता रहा था। इस बीच नसीम ने दारुल उलूम देवबंद व दिल्ली की फतेहपुर मस्जिद इस्लामी संस्थाओं से राय मांगी थी।
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