टीवी चैनल एनडीटीवी इंडिया पर पठानकोट हमले के दौरान संवेदनशील जानकारी सार्वजनिक करने के आरोप में भारत के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने एक दिन का प्रतिबंध लगाया है। आज (सोमवार) एनडीटीवी ने इस प्रतिबंध के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की है। एनडीटीवी इंडिया को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने 29 जनवरी को कारण बताओ नोटिस भेजा था। इस नोटिस में चैनल से चार जनवरी को पठानकोट आतंकी हमले के दौरान संवेदनशील जानकारियां सार्वजनिक करने के बारे में सफाई मांगी गई थी। नोटिस में कहा गया कि हमले की रिपोर्टिंग करते समय एनडीटीवी इंडिया ने एयरबेस में मिग विमान, लड़ाकू विमान, रॉकेट लान्चर, मोर्टार, हेलीकॉप्टर, ईंधन टैंक जैसे आयुध की मौजूदगी की सूचना दी जिसकी वजह से ये आयुध आतंकियों के हाथ में पड़ सकते थे और राष्ट्रीय सुरक्षा को गंभीर खतरा पहुंच सकता था। इससे सेना के जवानों और आम नागरिकों की जान की खतरा हो सकता था।
नोटिस में कहा गया कि चैनल ने एयरबेस में मौजूद स्कूल और रिहायशी इलाके की भी जानकारी सार्वजनिक की जिसका इस्तेमाल आतंकियों के सहयोगी कर सकते थे और स्कूल और रिहायशी इलाकों के मासूमों की जान खतरे में पड़ सकती थी। मंत्रालय के नोटिस में एनडीटीवी इंडिया के प्रसारण का वो हिस्सा भी संलग्न जिसमें कथित जानकारियां सार्वजनिक की गई थीं। चैनल ने मंत्रालय को दिए जवाब में कहा कि उसने हमले की रिपोर्टिंग के दौरान ऐसी कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं की जो पहले से सार्वजनिक न हो। चैनल के जवाब से संतुष्ट नहीं के बाद नौ नवंबर को 24 घंटे के लिए एनडीटीवी इंडिया के प्रसारण पर रोक लगाने का आदेश दिया गया। आइए देखते हैं कि क्या सचमुच एनडीटीवी इंडिया ने पठानकोट हमले के दौरान ऐसी कोई जानकारी सार्वजनिक की थी जो पहले से सार्वजनिक नहीं थी।
मंत्रालय ने एनडीटीवी इंडिया के प्रसारण के जिस हिस्से पर आपत्ति जताई है- संवाददाता: “दो आतंकी जिंदा है, और उसी जगह पर हथियारों का डिपो जाओ वहाँ बिलकुल उनके करीब है. और हमारी सेना के जवान, NSG के जवान आतंकियों से लोहा ले रहे है, उनको डर इस बात का कई, चिंता इस बात का है, कहीं आतंकियों की पहुँच उस हथियार के डिपो तक हो जाती है, तो फिर उन आतंकियों से निपटना आसान नहीं होगा, बहुत मुश्किल हो जाएगा. क्योंकि उस हथियार के डिपो में राकेट लांचर, मोर्टार जैसे कई हथियार हैं, जो और ज्यादा तबाही मचा सकते हैं।”