देश की राजधानी दिल्ली के साथ उत्तर भारत के कई शहरों में एक सप्ताह से फैले धुंध ने खतरनाक स्तर को भी पार कर दिया है। सोमवार को स्थिति में ठीक है, वहीं सड़कों पर पानी का छिड़काव भी शुरु हो गया है।
बता दें कि कई जगहों पर रविवार को प्रदूषण स्तर सामान्य से न सिर्फ 17 गुना ज्यादा पाया गया बल्कि कई जगहों पर प्रदूषण मापने वाले यंत्र की क्षमता (999 माइक्रोग्राम) भी जवाब दे गई। सड़कों पर बढ़ती धुंध की वजह से सांस की तकलीफ, अस्थमा और एलर्जी के मरीजों की तादाद 15 प्रतिशत से बढ़कर 60 प्रतिशत हो गई है और सोमवार को इसके और बदतर होने की आशंका है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कैबिनेट की आपात बैठक कर 17 साल के इस रिकॉर्डतोड़ प्रदूषण से निपटने के लिए कई उपायों की घोषणा की जिनमें केंद्र की मदद से कृत्रिम बारिश कराने पर भी विचार किया जा रहा है। राजधानी के स्कूल तीन दिन तक बंद रहेंगे, डीजल जनरेटर और बदरपुर प्लांट को भी दस दिन के लिए बंद कर दिया गया है।
विशेषज्ञों की मानें तो नवंबर में इतने लंबे वक्त तक सड़कों पर प्रदूषण का स्तर इस पैमाने पर पहले कभी नहीं रहा। रविवार को अब तक का सबसे खतरनाक स्तर दर्ज किया गया। हालात से निपटने के लिए दिल्ली सरकार ने कई आपातकालीन कदम उठाए हैं। ऑड ईवन को दोबारा शुरू करने पर भी विचार किया जा रहा है। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कैबिनेट की बैठक में माना कि दिल्ली गैस चैंबर में तब्दील हो चुकी है। फरीदाबाद व गुरुग्राम की भी कमोबेश यही स्थिति रही। दूसरी तरफ सिस्टम ऑफ एयर क्वॉलिटी एंड वेदर फॉर कास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) के सभी मॉनीटरिंग स्टेशनों पर पीएम के आंकड़े 500 को पार कर गए। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) की अनुमित्रा राय चौधरी बताती हैं कि पहले भी प्रदूषण का स्तर बढ़ता रहा है, लेकिन एक-दो दिन में आबोहवा सुधर जाती थी। इस बार एक हफ्ते से प्रदूषण का स्तर बढ़ता ही जा रहा है। सीएसई की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदूषण के कारण यहां हर साल 10 हजार से 30 हजार लोगों की मौत होती है।
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