पिछले साल 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा किए जाने के बाद सरकार को 18 लाख संदिग्ध बैंक खातों का पता चला है जिनमें जमा राशि संबंधित खाताधारकों की आय से मेल नहीं खाती है। शुक्रवार को लोकसभा में इस बात की जानकारी देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि इन खातों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
जेटली ने कहा कि ऐसे खाताधारकों को कानूनी नोटिस भेजा जाएगा। लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान जेटली ने बताया कि नोटबंदी के बाद निष्क्रिय पड़े खातों या जनधन योजना के तहत खोले गए खातों के दुरुपयोग के संबंध में सरकार जांच कर रही है। वित्त मंत्री ने कहा कि नोटबंदी के बाद खातों में बड़ी धनराशि जमा कराने वालों पर सरकार की पैनी नजर है। इन लोगों से प्रारंभिक जानकारी मांगी गई थी और काफी लोगों ने जानकारी दी है।
इस बीच राजस्व विभाग ने कहा कि उसने पिछले तीन सालों के दौरान प्रत्यक्ष एवं परोक्ष कर दोनों में 1.37 लाख करोड़ रुपये से अधिक कर चोरी तथा 1,000 से अधिक शेल कंपनियों की पहचान की है जो 13,300 करोड़ रपये के फर्जी लेन-देन में शामिल थी। कर चोरी करने वालों को चेतावनी देते हुए विभाग ने कहा कि वह कालेधन के खिलाफ कार्रवाई करती रही है और आने वाले दिनों में इसमें और तेजी लायी जाएगी।
विभाग ने कहा कि संशोधित बेनामी सौदा निषेध कानून के तहत 245 बेनामी लेन-देन की पहचान की गयी है और 124 मामलों में 55 करोड़ रपये मूल्य की संपत्ति कुर्क की है। यह कानून नवंबर 2016 में प्रभाव में आया। इसमें 69,434 करोड़ रपये आयकर विभाग, 11,405 करोड़ रपये सीमा शुल्क, 13,952 करोड़ रपये केंद्रीय उत्पाद तथा 42,727 करोड़ रपये मूल्य के सेवा कर चोरी शामिल हैं।
साथ ही 2,814 मामलों में आपराधिक अभियोजन शुरू किया गया। इसमें 1,066 आयकर से जुड़े मामले हैं। कुल 3,893 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इसके अलावा गलत गतिविधियों में शामिल 1,155 शेल कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की गयी। ये कंपनियां 13,300 करोड़ रपये के फर्जी लेन-देन में शामिल थी।