आज़ादी के 70 सालों बाद भारत में भले ही बड़े पैमाने पर प्रगति हुई हो लेकिन भारत अभी भी भुखमरी और कुपोषण से पीड़ित है। राष्ट्रीय पोषण ब्यूरो (NNMB) के सर्वेक्षण केे अनुसार भारत के 833 लाख पिछड़े ग्रामीण इलाके ऐसे भी है जहां लोग जरुरत से कम पोषक तत्वों का उपभोग कर रहे हैं और भुखमरी के शिकार हो रहे हैं। 1975-1979 की तुलना में एक ग्रामीण भारतीय अब औसतन 550 कम कैलोरी की खपत करता है और 13 मिलीग्राम प्रोटीन, 5 मिलीग्राम लोहा, 250 मिलीग्राम कैल्शियम और करीब 500 मिलीग्राम विटामिन ए कम है।
तीन साल से कम उम्र के बच्चे 300 मिलीलीटर दूध प्रति दिन उपभोग करने के बजाय 80 मिलीलीटर दूध उपभोग कर रहे हैं, जो कि आवश्यकतासे काफी कम है।एक सर्वेक्षण में, 35% ग्रामीण पुरुष और महिलायें कुपोषित पाए गए, और 42% बच्चे कम वजन के पाए गए।
2014 में आजीविका ब्यूरो द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में, गरीब इलाकों में हालात बद से बदतर हैं। करीब 500 माताओं पर एक सर्वे किया गया जिसमें पाया गया कि पिछले दिनों में किसी ने भी दाल का सेवन नहीं किया है। वहीं 1 में 3 प्रतिशत महिलाऔं ने साग सब्जी का उपभोग नहीं किया और न ही फल, अंडा, मीट का सेवन किया। परिणामस्वरूप आधे से ज्यादा माताएं व 3 साल से नीचे के बच्चे कुपोषित है। ये आंकड़े प्रधानमंत्री मोदी के मेक-इन-इंडिया और कौशल भारत कार्यक्रमों के लिए एक उलझन दर्शाते हैं।