रामनाथ कोविंद को लेकर कुमार विश्वास ने किया ट्वीट, सोशल मीडिया यूजर्स ने लिया आड़े हाथों

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कुमार विश्वास
file photo

आम आदमी पार्टी (AAP) नेता कुमार विश्वास ने एक ट्वीट के जरिए केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। विश्वास ने एनडीए द्वारा एक दलित को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने पर ट्वीट कर लिखा, ‘सत्तर बरस बिताकर सीखी लोकतंत्र ने बात, महामहिम में गुण मत ढूंढो, पूछो केवल जात।’ इस ट्वीट के बाद कई यूजर्स ने इसकी कड़ी निंदा की है।

 

अभिषेक मिश्रा लिखते हैं, ‘व्यक्ति जात से नहीं अपने कर्मों से महान बनता है।’ मनोज भैया लिखते हैं, ‘जो ना पूछे जात किसी की तुम दिखलाते जज्बात, बन जाए कोई दलित महामहिम इस पर क्यों रोते हो कविराज।’

 

मनोज ने एक और ट्वीट में लिखा हैं, ‘आतंकवाद का क्या धर्म है पता ना कर पाए आप, गौरव प्रतिष्ठित महामहिम की कहां से लाए बात। बोलो बोलो कविराज।’

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अभिषेक लिखते हैं, ‘बरसों बीत गए खोज पाए आतंकवाद का धर्म, महामहिम की जात बताकर हल्ला करते हो।’

 

रोफी गांधी ने लिखा हैं, ‘राजनीति में कुछ ना सही कुछ ना गलत होगा, पंजाब का अलग डिप्टी सीएम दलित होगा। दिल्ली के मशहूर शायर मिर्जा केजरी।’

 

एक अन्य यूजर रोफी लिखते हैं, ‘रामनाथ कोविंद जी को अगर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ से मिलना पड़ा जाए तो नहा के जाएं क्या? लग रहा है पूछ रहे हैं।’ वहीं समरीन उस्मानी विश्वास के का साथ देते हुए लिखती हैं, ‘सवाल तो एक वाजिब हैं।’ गौरव शर्मा लिखते हैं कि कोविंद जी में राष्ट्रपति बनने की सभी योग्यताएं हैं। बस गलत ये है कि वो प्रधानमंत्री मोदी की पसंद हैं। इसलिए हम विरोध करते हैं। मोदी जी हाय।

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गौरव शर्मा आगे लिखते हैं, ’16 साल सुप्रीम कोर्ट में वकालत, सरकार के वकील रहे, राज्यसभा पहुंचे, आईएएस पास, संयुक्त राष्ट्र को संबोधित, गर्वनर रहे हैं कोविंद जी।’ रिशिता मिश्रा लिखती हैं, ‘पंजाब चुनाव के समय केजरीवाल जी ने कहा था कि पंजाब में दलित ही डिप्टी सीएम होगा। तब आपने उनसे क्यों नहीं पूछा डिप्टी सीएम में गुण ढूंढ रहे हो या जात?’

 

गौरतलब है कि 71 साल के कोविंद उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात के डेरापुर तहसील के झींझक कस्बे के एक छोटे से गांव परौख के रहने वाले हैं। उनका जन्म 01 अक्टूबर 1945 को हुआ था। कोविंद की शुरुआती शिक्षा संदलपुर ब्लॉक के गांव खानपुर से हुई। कानपुर के डीएवी लॉ कॉलेज से वो कानून स्नातक हैं। कोविंद साल 1977 से 1979 तक केंद्र सरकार की तरफ से दिल्ली हाईकोर्ट में वकील थे। इसके बाद 1980 से 1983 तक वो सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की तरफ से स्टैंडिंग काउंसिल रह चुके हैं। उन्होंने 1993 तक दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में कुल 16 सालों तक प्रैक्टिस की है। 8 अगस्त 2015 को उन्हें बिहार का गवर्नर नियुक्त किया गया था।

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