सजा से बचने के लिए अबू सलेम ने चली ये चाल

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सलेम

मुंबई : 1993 के बम धमाकों के केस में हाल ही में दोषी करार दिए गए अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम को सजा होने का एहसास काफी पहले ही हो गया था। शायद तभी फैसला आने के महीनों पहले 48 वर्षीय सलेम ने यूरोपियन कोर्ट ऑफ ह्यूमन राइट्स (ECHR) में याचिका दाखिल करके अपने पुर्तगाल वापसी की मांग की थी। उसने भारत में अपनी मौजूदगी और ट्रायल, दोनों को ही गैरकानूनी ठहराया है।

दरअसल, पुर्तगाल के कोर्ट ने सलेम के प्रत्यर्पण की मंजूरी इस शर्त पर दी थी कि उसे मौत की सजा नहीं दी जाएगी। वहीं, बिल्डर प्रदीप जैन के मर्डर के मामले में दोषी ठहराए जाने के एक साल पहले 2014 में लिसबन की अदालत ने 2003 के प्रत्यर्पण के फैसले को खारिज कर दिया। पुर्तगाल की कोर्ट में सलेम ने दलील दी थी कि उसके खिलाफ ऐसे मामलों में ट्रायल चल रहा है, जिसमें उसे मौत की सजा हो सकती है। हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा था कि सलेम की पुर्तगाल वापसी पुर्तगाली सरकार की जिम्मेदारी है। अब सलेम पुर्तगाल के खिलाफ ECHR की शरण में पहुंचा है। वह चाहता है कि ECHR पुर्तगाली सरकार से उसकी वापसी सुनिश्चित कराए।

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सलेम ने यह याचिका जनवरी 2017 में ECHR में लगाई है। इसका मकसद अपने खिलाफ भारत में चल रहे ट्रायल को रोकना है। ECHR ने पुर्तगाल की सरकार से इस मामले में उसका पक्ष पूछा, जिसका जवाब मार्च में भेजा गया। वहीं, यूरोपीय अदालत ने सलेम से पूछा है कि क्या उसने दूसरी अदालतों या ट्राइब्यूनलों में कोई अर्जी लगाई थी? ECHR को भेजे गए जवाब में फरवरी में सलेम के यूरोपीय वकील ने कई दलीलों का जिक्र किया था, जिसके आधार पर उसके पुर्तगाल वापसी की मांग की गई थी। सलेम के मुंबई के वकील तारिक सैयद ने बताया कि प्रत्यर्पण का आदेश खारिज किए जाने और सलेम के पक्ष में फैसला आने के बावजूद उसे वापस पुर्तगाल ले जाने को लेकर कूटनीतिक कोशिशें नहीं की गई। इसी बात को ECHR में उठाया गया है।

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