मुसलमानों के बाद एक और समुदाय ने ‘समान नागरिक संहिता’ पर उठाए सवाल

0
गौरक्षक
Prev1 of 2
Use your ← → (arrow) keys to browse

मुस्लिम संगठनों के बाद अब आदिवासी समुदायों ने भी सुप्रीम कोर्ट में समान नागरिक संहिता के विरोध में आवाज़ उठाई है। राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद नामक गैर सरकारी संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की है, जिसमें उन्होने कहा है कि समान नागरिक संहिता को लेकर अगर अदालत कोई निर्देश देती है तो इससे उनकी संस्कृति, परंपरा और उनके समाज में प्रचलित बहुविवाह आदि प्रथा पर असर पड़ेगा। देश में करीब 11 करोड़ आदिवासी हैं।

इसे भी पढ़िए :  कश्मीर विवाद : सेना के रवैये पर कोर्ट ने जताई चिंता

संगठन ने समान नागरिक संहिता का विरोध करते हुए कहा है कि हम हिन्दू समुदाये के डरे में नहीं आते क्योंकि हिन्दू तो मूर्ति पूजा करते हैं जबकि हम प्रकर्ति की पूजा करते हैं। साथ ही हम शव को दफनाते हैं यहां तक की हमारे यहां शादी के रीति रिवाज़ भी हिंदुओं से बिलकुल अलग हैं।

इसे भी पढ़िए :  हिसाब नहीं देने वाले NGO पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, निगरानी की व्यवस्था नहीं होने के लिए केंद्र को लिया आड़े हाथ

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में संगठन ने कहा है कि अगर समान नागरिक संहिता लागू होती है तो आदिवासी समुदाय की शादी के रीति-रिवाज, पूजा, अंतिम संस्कार सहित सदियों से चली आ रही प्रथा और प्रचलन खत्म हो जाएंगे।

इसे भी पढ़िए :  तीन तलाक का फैसला," कुरान की जीत है और कट्टरपंथियों की हार"

अगली स्लाइड में पढ़ें पूरी खबर

Prev1 of 2
Use your ← → (arrow) keys to browse