राष्ट्रगान का मामला इस वक़्त बहुत गरमाया हुआ है। कुछ टाइम पहले सुप्रीम कोर्ट ने सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान बजने पर खड़ा होना अनिवार्य कर दिया था। अब इस मामले में केंद्र सरकार चाहती है कि सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रगान के दौरान खड़े होने को लेकर और कड़ा ऑर्डर पास करे।
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान ये साफ कर दिया की ना तो इस मामले में कोई मॉरल पुलिसींग की जाए और ना ही खड़े होने के लिए और ज्यादा दबाव बनाया जाएगा।
दरअसल, केंद्र सरकार की तरफ से आए अटोर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट से गुजारिश की थी कि वह तीस साल पुराने एक जजमेंट को भी देखें जिसमें Jehowah’s Witnesses (ईसाई धर्म) के एक परिवार को राष्ट्रगान ना गाने की छूट मिली हुई है। क्योंकि ये परिवार गॉड के अलावा किसी की प्रार्थना करने को तैयार नहीं था। मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि इस चीज को लेकर भी बहस होनी चाहिए कि स्कूल से ही बच्चे को राष्ट्रगान का आदर करना क्यों ना सिखाया जाए। मुकुल ने आगे कहा कि वक्त आ गया है कि 1986 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले पर फिर से नजर डाली जाए और उसपर विचार किया जाए।
जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने मंगलवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि राष्ट्रगान को लेकर कोर्ट कोई सख्त ऑर्डर जारी नहीं करेगी और ना ही आम लोग किसी तरह की मोरल पुलिसिंग नहीं कर सकते।
अगली स्लाइड में पढ़ें बाकी की खबर