दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में गोमांस रखने या उसे खाने के अपराध होने को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर आप सरकार और दिल्ली पुलिस को अपने जवाब दाखिल करने का आज निर्देश दिया।
पुलिस के लिए पेश होने वाले वकील ने मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल की पीठ को बताया कि वे उस अर्जी पर अपने जवाब एक दिन के भीतर दाखिल करेंगे जिसमें दिल्ली कृषि मवेशी संरक्षण अधिनियम के उन प्रावधानों को दरकिनार करने की मांग की गई है जो यहां गोमांस रखने या खाने को अपराध बनाते हैं।
पीठ ने मामले की अगली सुनवायी आठ दिसम्बर तय करते हुए कहा, ‘आप सरकार और पुलिस अपने जवाब दाखिल करिये।’ सुनवायी के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने पीठ को बताया कि उच्चतम न्यायालय महाराष्ट्र में गोमांस रखने या खाने से संबंधित मुद्दों पर सुनवायी कर रहा है।
अदालत ने इसके बाद याचिकाकर्ता से कहा कि वह इस मुद्दे से संबंधित उन मामलों की एक सूची प्रस्तुत करे जो उच्चतम न्यायालय के समक्ष लंबित हैं।
अर्जी में दावा किया गया है कि मवेशी संरक्षण अधिनियम ‘विधायिका के अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाने का मामला है।’ याचिकाकर्ताओं, एक विधि छात्र एवं एक एनजीओ ने दलील दी है कि मवेशी संरक्षण कानून के तहत गोमांस रखने या खाने पर प्रतिबंध याचिकाकर्ताओं एवं इसी तरह की स्थिति वाले अन्य व्यक्तियों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है क्योंकि यह उनकी निजी स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है।