दिल्ली
दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग ने दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को ‘‘ऐतिहासिक’’ करार देते हुए आज कहा, ‘‘जब हम निर्वाचित होते हैं, इसका यह मतलब नहीं कि हम शासक हैं। इसके बजाय हमें अपनी भूमिका एवं काम तक सीमित रखते हुए कार्य करना होता है जो कि संविधान के ढांचे में हो।’’ जंग की यह टिप्पणी दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा यह कहे जाने के कुछ घंटे बाद आयी कि उपराज्यपाल राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के प्रशासनिक प्रमुख हैं और आप सरकार की यह दलील ‘‘आधारहीन’’ है कि वह मंत्रिपरिषद की सलाह पर काम करने के लिए बाध्य हैं।
उन्होंने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय का आज का फैसला ‘‘ऐतिहासिक’’ हैं और इसके मद्देनजर वह गत तीन वषरें में अपने पहले संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करने के लिए आये हैं।
उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘जब हम निर्वाचित होते हैं, हम इस देश के शासक नहीं हैं। आप, मैं और कोई भी शासक नहीं है। हमें अपनी भूमिका एवं काम तक सीमित रहते हुए कार्य करना होगा जो कि संविधान के ढांचे में है।’’
यह पूछे जाने पर कि उन्होंने तब क्यों मीडिया से कुछ नहीं कहा जब मुख्यमंत्री सहित आप नेताओं ने उन पर कई मुद्दों को लेकर ‘‘हमला’’ किया, उपराज्यपाल जंग ने उर्दू का एक शेर उद्धृत करते हुए कहा, ‘‘वक्त आने पर बता देंगे तुझे ऐ आसमान, हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है।’’ उन्होंने कहा कि उनकी ओर से कोई अतिक्रमण नहीं किया गया है और उन्होंने किसी निर्वाचित सरकार के कामकाज में कोई हस्तक्षेप नहीं किया लेकिन चूंकि दिल्ली एक केंद्र शासित प्रदेश है, उन्हें (आप) संविधान के तहत उपराज्यपाल की मंजूरी लेनी होगी।’’ जंग ने कहा, ‘‘दिल्ली में 1920 में मुख्य आयुक्त का शासन था। आयुक्त के अधिकार उपराज्यपाल को सौंप दिये गए थे। 1989 में केंद्र सरकार ने बालकृष्णन समिति का गठन किया था और संसद में उसकी रिपोर्ट पर एक चर्चा हुई थी।’’ जंग ने कहा, ‘‘रिपोर्ट इसका समर्थन करती है कि दिल्ली एक केंद्र शासित प्रदेश रहनी चाहिए और उसे एक पूर्ण राज्य नहीं बनाया जाना चाहिए। रिपोर्ट में बालकृष्णन ने कहा कि हमारे पास विधानसभा होगी लेकिन हमें इसे (दिल्ली को) एक केंद्र शासित प्रदेश ही रखना चाहिए।’’