सेक्स रैकेट केस में ‘बिल्ली’ को तलाश रही है दिल्ली पुलिस

0
सेक्स रैकेट केस
फोटो साभार

नई दिल्ली: दिल्ली के जीबी रोड के सेक्स रैकेट केस में कोठों की कहानियां सामने आने के बाद पूरा देश सकते में है। इस सेक्स रैकेट केस के कई आरोपी फ़रार हैं।फ़रार आरोपियों में से ही एक है सरफ़राज उर्फ़ बिल्ली। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच सरफ़राज उर्फ़ बिल्ली की सरगर्मी से तलाश कर रही है। उसके राजनीतिक संपर्कों के बारे में भी जानकारी मिली है। जीबी रोड केस में ब्यूटी पार्लर की मालकिन और तीन दूसरे लोगों पर भी पुलिस को शक है। इस मामले में कमला मार्केट पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं।

इसे भी पढ़िए :  कलयुगी बेटे की शर्मनाक करतूत, बना ड़ाली मां-बाप की ब्लू फिल्म... और शुरु हुआ ब्लैकमेलिंग का खेल

इसे भी पढ़िए-जिस्मफरोशी से रोज कमाती थी 10 लाख रुपये !

पुलिस ने बताया कि सरफराज उर्फ बिल्ली की तलाश में बुधवार को रेड डाली, लेकिन वह नहीं मिला। सरफराज अजमेरी गेट की गली शाहतारा में रहता है। वह जीबी रोड पर पानी की सप्लाई करता था, लेकिन पुलिस के मुताबिक दरअसल उसका धंधा जीबी रोड के कोठों पर लड़कियों को कंट्रोल में रखना था। वह इस सेक्स रैकेट केस के मुख्य मुलजिम आफाक हुसैन का राइट हैंड है। क्राइम ब्रांच के अफसरों ने बताया कि दूसरे राज्यों से लाई गई लड़कियों को खरीदने के बाद कोठों पर उनके विरोध को दबाने के लिए मसल्समैन भेजता था।

इसे भी पढ़िए :  15 अगस्त को AAP में शामिल होंगे नवजोत सिंह सिद्धू, सीएम प्रत्याशी नहीं, होंगे स्टार प्रचारक!

बिल्ली उर्फ सरफराज का खौफ लड़कियों के बीच इस कदर था कि वे उसके नाम से भी डरती थीं। अगर कोई लड़की देह व्यापार के लिए तैयार नहीं होती थी तो सरफराज के आदमी उस लड़की की पिटाई कर कई दिनों तक उसे खाना नहीं देते थे। लड़की की हिम्मत तोड़ने के लिए वे लोग उन पर अत्याचार भी करते थे। पुलिस सूत्रों ने बताया कि सरफराज बिल्ली के ताल्लुक कई जानेमाने लोगों के साथ हैं। उन लोगों के साथ सरफराज के फोटो पुलिस को मिले हैं। आफाक हुसैन और उसकी पत्नी सायरा बेगम की गिरफ्तारी होते ही वह फरार हो गया था।

इसे भी पढ़िए :  ग्लोबल रैंकिंग में भारत है दुनिया का चौथा सबसे ताकतवर देश, पाकिस्तान को मिला 13वां स्थान

क्राइम ब्रांच के अफसरों के मुताबिक, आफाक और सायरा बेगम ने जीबी रोड या सेक्स रैकेट केस से उनका कोई भी लिंक कोर्ट में साबित नहीं होने देने के मकसद से इन सभी कोठों को अपने एजेंटों के नाम ट्रांसफर किया हुआ है। कोठों पर बिजली के बिल भी किसी और नाम से आते हैं।