नई दिल्ली। नोटबंदी का भले ही विपक्ष विरोध कर रहा हो लेकिन पीएम मोदी का यह फैसला देश भर में फैले नक्सलियों की कमर तोड़ दी है। अधिकारियों के मुताबिक, अलगाववादियों तक पहुंचने वाले पैसे में काफी कमी आई है वहीं नक्सलियों ने बड़ी करंसी के रूप में जो पैसा जमा कर रखा था, वह अब बेकार हो चुका है।
नक्सलियों के पास अब सरेंडर करने के अलावा दूसरा कोई चारा नजर नहीं आ रहा है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, नोटबंदी की घोषणा के बाद करीब 469 माओवादियों और उनके समर्थकों ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया है।
अधिकारियों का कहना है कि सिर्फ नवंबर महीने के 28 दिनों के दौरान करीब 564 नक्सलियों ने सरेंडर किए हैं, इनमें 8 नवंबर को नोटबंदी के एलान के बाद 469 माओवादियों ने आत्मसरेंडर किया है। जो अपने आप में ऐतिहासिक है। समर्पण करने वालों में करीब 70% से अधिक ओडिशा राज्य के शामिल हैं।
सूत्रों ने बताया कि अलगाववादियों तक हवाला के जरिए जो पैसा पहुंचता था, वह ज्दायातर 500 और 1000 रुपये के नोटों में होता था। अब पुराने नोटों पर बैन लगने के बाद इस फंडिंग में काफी कमी आई है। उधर, देश के कई राज्यों में फैले माओवादी समूह, खासकर बिहार और झारखंड के माओवादियों ने फिरौती के जरिए जो मोटी रकम जमा कर रखी थी, उसे भुनाने में अब उनके पसीने छूट रहे हैं।