विपक्ष कर सकता है सवाल
इसे देखते हुए सरकार ने अब इनकम डिक्लेयरेशन स्कीम जैसी एक योजना का प्रस्ताव रखा है। इसके तहत नोटबंदी का ऐलान होने के बाद बैंकों में जमा की गई अनअकाउंटेड रकम का अगर कोई खुलासा करे तो टैक्स, पेनाल्टी और सरचार्ज के रूप में कुल 50 पर्सेंट भुगतान करने और अनअकाउंटेड रकम का 25 पर्सेंट हिस्सा एक सरकारी स्कीम में चार वर्षों के लिए बिना ब्याज के जमा करने पर उसे मुकदमे का सामना नहीं करना होगा।
सीताराम येचुरी और उनके दोस्तों ने अगर भांप लिया कि इस आईडीएस-2 से अनअकाउंटेड कैश रखने वालों को बचने का रास्ता दिया जा रहा है तो वे हंगामा कर सकते हैं। हालांकि छिपाई गई नकदी को कोई भी बैंक अकाउंट में तब तक नहीं रखने वाला है, जब तक फाइनेंस मिनिस्ट्री यह वादा न करे कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट के लोग पीछा नहीं करेंगे। विपक्ष यह सवाल कर सकता है कि डीमॉनेटाइजेशन के बाद भी अगर आईडीएस-2 ही लाना था तो 50 दिनों के लिए लोगों को मुश्किल में क्यों झोंका गया?