30 दिसंबर तक नोटबंदी के नियमों में आएगा बड़ा बदलवा?

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RBI के पास सीमित विकल्प

अगर आईडीएस-2 का मकसद मुश्किल पिच पर फंसी सरकार को बचाना है तो आरबीआई के मॉनेटरी एक्शन से उसके उलझन में फंसे होने का पता चलता है। साथ ही, यह बात भी सामने आ रही है कि बैंक डिपॉजिट्स में उम्मीद से ज्यादा उछाल से निपटने में आरबीआई को दिक्कत हो रही है। आरबीआई ने बैंकों को निर्देश दिया है कि 16 सितंबर से 11 नवंबर के बीच आए समूचे डिपॉजिट को वे उसे सौंप दें।

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बॉन्ड प्राइसेज में उछाल और बचत करने वालों के रिटर्न में गिरावट के बीच अचानक उठाए गए इस कदम का मकसद बैंकों से एक्स्ट्रा फंड सोखना है, लेकिन इससे शेयर मार्केट में वोलैटिलिटी बढ़ सकती है।

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30 दिसंबर तक बैंकों में आने वाली करंसी की मात्रा डीमॉनेटाइजेशन के इस पूरे किस्से का चेहरा बदल सकती है। अगर इसका अधिकांश हिस्सा बैंकों में जाता है तो डीमॉनेटाइजेशन का असल मतलब काले धन पर वार नहीं, बल्कि फाइनेंशियल इन्क्लूजन हो जाएगा। अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है कि कहानी कौन सा मोड़ लेगी। अभी तो इसकी स्क्रिप्ट आंधी की स्पीड से बदल रही है।

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