मोदी सरकार के दौरान सांप्रदायिक दंगों में 200 प्रतिशत की कमी: नकवी

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फाइल फोटो।

नई दिल्ली। राजग सरकार के सत्ता में आने के बाद से सांप्रदायिक दंगों में 200 प्रतिशत कमी आने की बात कहते हुए केन्द्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने दावा किया कि इस अवधि में केन्द्र सरकार की नौकरियों में अल्पसंख्यक समुदायों से भर्ती बढ़ी है।

संवाददाताओं से बातचीत में नकवी ने पिछले साल दादरी में एक मुस्लिम को पीट-पीटकर मारे जाने की घटना को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ करार दिया। हालांकि उन्होंने कहा कि दो-तीन मामलों को छोड़ दें तो अल्पसंख्यकों के संबंध में राजग सरकार का कुल प्रदर्शन ‘‘अच्छा रहा है।’’

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अल्पसंख्यक मामलों के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नकवी ने कहा कि यदि आप सांप्रदायिक दंगों पर नजर डालें तो हमारे राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम) की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले दो सालों के दौरान इसमें 200 प्रतिशत की कमी आई है।

उन्होंने कहा कि चूंकि इस सरकार के कार्यकाल के दौरान अभी तक ‘‘कोई बड़ी घटना’’ नहीं हुई, इसलिए हो सकता है कि ‘‘एक छोटी घटना को एक बड़ी घटना बना दी गई हो।’’ ‘‘ इस संबंध में उन्होंने किसी घटना विशेष का उल्लेख नही किया। नकवी ने कहा कि कोई भी नहीं कह सकता कि भिवंडी (महाराष्ट्र), मेरठ (उत्तर प्रदेश) जैसे दंगे हुए हैं जहां 1,000 लोग मारे गए थे।

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नकवी ने कहा कि दादरी की घटना एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी, लेकिन यह एक सांप्रदायिक दंगा नहीं था। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराई गई सूचना के मुताबिक, एनसीएम को 2012-13 के दौरान 2,127 शिकायतें मिलीं, जिसमें से 1,973 का निपटारा कर दिया गया, जबकि 154 मामले लंबित रहे।

उन्होंने बताया कि वर्ष 2013-14 में आयोग को 2,638 शिकायतें मिलीं, जिसमें से उसने 2,483 शिकायतें निपटाईं, जबकि 155 लंबित रहे। वर्ष 2014-15 के दौरान इसे 1,995 शिकायतें मिलीं जिसमें से 1,944 का निपटान किया गया।

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लोकसभा में चार मई को एक प्रश्न के उत्तर में प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेन्द्र सिंह ने कहा था कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग से 2013-14 के लिए प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक, अल्पसंख्यक समुदायों से 7.89 प्रतिशत लोगों की भर्ती की गई, जबकि 2014-15 के दौरान अल्पसंख्यक समुदाय से 8.56 प्रतिशत लोगों की भर्ती सरकारी सेवाओं में की गई।