नई दिल्ली : देश में नोटबंदी है। आम लोगों के पास कैश नहीं हैं। मिलने की उम्मीद में लोग कतार में हैं गांवों की हालत तो और खराब है। वहां ना कैश है, ना उम्मीद और ना ही कतार। रही सही कसर महंगाई ने मार रखी है। दाल के बाद अब महंगाई के कारण थाली से रोटी भी दूर होने लगी है। दो माह के भीतर ही गेहूं आटा के दाम में 8 से 9 रुपये की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इससे लोगों को नोटबंदी के बीच आटा खरीदने से पहले जेब टटोलना पड़ जा रहा है तो कई रोटी की जगह थाली में चावल को तरजीह देने लगे हैं। वैसे, अधिक तेजी पैकेटबंद आटा के दामों में है।
दो माह पहले तक खुला में बिकने वाला आटा 20 रुपये प्रति किलो था, अब यह 26 रुपये प्रतिकिलो तक पहुंच गया है। पैकेट बंद आटा 290 से 310 रुपये प्रति दस किलो के बीच मिल रहा है। अरहर दाल के दाम में कुछ गिरावट है। फिर भी यह 110 से 120 रुपये प्रति किलो बिक रही है। चना दाल 140 रुपये प्रति किलो के साथ उछाल पर है।
दाम बढ़ाने में कंपनियां जिम्मेदार दिल्ली दाल मिल्स एसोसिएशन के महासचिव दीपक गोयल पैकेट बंद अनाजों को बेच रही कंपनियों को काफी हद तक जिम्मेदार ठहराते हैं। उनके मुताबिक नया बाजार थोक मंडी में अरहर दाल की कीमत जहां 90 रुपये किलो तक है। वहीं खुदरा में पैकेट बंद दाल 160 रुपये किलो में बिक रही है। उन्होंने मामले में केंद्र सरकार से पैकेट बंद सामानों के अधिकतम खुदरा मूल्य तय करने को लेकर सख्त नीति बनाने की मांग की है।