नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट को शुक्रवार(28 अक्टूबर) को बताया गया कि अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन आईएसआईएस और नाइजीरिया के आतंकवादी संगठन बोको हराम की हिंसा से प्रभावित क्षेत्रों के बाद भारत आतंकवाद और उग्रवाद के कारण होने वाली मौतों के मामले में तीसरे पायदान पर है।
छत्तीसगढ़ सरकार ने न्यायालय में यह दावा भी किया कि आतंकवाद प्रभावित जम्मू-कश्मीर से ज्यादा लोग नक्सल प्रभावित इस राज्य में मारे जा रहे हैं और क्षेत्र में वाम चरमपंथी कार्यकर्ताओं की संलिप्तता आग में घी डालने का काम कर रही है।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति एम बी लोकुर और न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की पीठ को बताया कि ‘‘आज जम्मू-कश्मीर से ज्यादा सुरक्षाकर्मी छत्तीसगढ़ में तैनात हैं। इन इलाकों में नक्सल हिंसा में कई पुलिसकर्मी मारे जा रहे हैं। हम नक्सल समस्या पर नियंत्रण के लिए कदम उठा रहे हैं। हम वहां आधारभूत संरचना से जुड़े कई काम कर रहे हैं। हम एक अलग दौर से गुजर रहे हैं।’’
मेहता ने कहा कि ‘‘आतंकवाद से प्रभावित और आतंकवाद से जुड़ी मौतों से प्रभावित होने के मामले में आईएसआईएस और बोको हराम का दंश झेलने वाले इलाकों के बाद भारत दुनिया में तीसरे पायदान पर है।’’
उन्होंने अदालत से अपील की कि वह नंदिनी सुंदर जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं को इलाके से बाहर रखने के लिए निर्देश पारित करे। उन्होंने आरोप लगाया कि सुंदर जैसे कार्यकर्ता ‘‘चाहते हैं कि ये आग हमेशा जलती रहे।’’
इस पर न्यायालय ने कहा कि ‘‘यह समाधान नहीं हो सकता। वे (कार्यकर्ता) चाहेंगे कि आप (सरकार) इलाके से बाहर रहें।’’ छत्तीसगढ़ सरकार के स्थायी वकील अतुल झा के साथ पेश हुए मेहता ने कहा कि ‘‘हम इलाके से बाहर नहीं जा सकते। यह एक राज्य है और सरकार को लोगों की देखभाल करनी होगी। लोगों के प्रति हमारी जिम्मेदारी है।’’