दलित उत्पीड़न शर्मनाक, ऐसी घटनाओं को राजनीतिक रंग देना दुर्भाग्यपूर्ण: वेंकैया

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फाइल फोटो

दिल्ली। विपक्ष खासतौर पर कांग्रेस पर दलितों पर उत्पीड़न के विषय को राजनीतिक रंग देने का आरोप लगाते हुए केंद्रीय मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि आजादी के 70 साल बाद भी ऐसी घटनाएं सबके लिए शर्मनाक हैं और इसकी आड़ में किसी खास राज्य, पार्टी और नेता को निशाना बनाना ठीक नहीं है।

गुजरात के ऊना में दलित उत्पीड़न के मुद्दे पर विपक्षी दलों द्वारा केंद्र एवं राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा नीत सरकार पर निशाना साधने पर पलटवार करते हुए वेंकैया ने कहा कि दलितों का उत्पीड़न किसी एक राजनीतिक दल का विषय नहीं है, बल्कि सामूहिक दायित्व का विषय है। हम सबको अल्पकालिक फायदे के लिए ऐसी घटनाओं को राजनीतिक रंग देने से बचना चाहिए। किसी खास घटना की आड़ में किसी विशेष राजनीतिक दल या नेता को निशाना बनाना दुर्भाग्यपूर्ण है।

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उन्होंने कहा कि गुजरात में दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी, लेकिन उत्तरप्रदेश, बिहार में भी घटनाएं हुईं। इस बारे में आत्मचिंतन करने की जरूरत है, क्योंकि ऐसी घटनाएं केवल एक राजनीतिक दल या राज्य तक सीमित नहीं है। तात्कालिक फायदे और सुखिर्यां बटोरने के लिए ऐसे मामलों को राजनीतिक रंग देने से अनुसूचित जाति, जनजाति, दलितों का भला नहीं होगा। बसपा प्रमुख मायावती का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि तिलक, तराजू और तलवार..इनको मारो जूते चार किसने कहा? इसलिए राजनीतिक रंग नहीं दिया जाए।

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वेंकैया नायडू ने कहा कि कुछ लोग एवं नेता केवल गुजरात गए, लेकिन केरल में भी जघन्य घटना हुई। कर्नाटक में भी घटना हुई, लेकिन वहां नहीं गए। कोई घटना हरियाणा में आपके शासन (कांग्रेस) में घटी तब आप चुप रहे, लेकिन हमारे समय में कुछ बातें सामने आई तब आप आक्रामक हो गए। यह किसी एक राजनीतिक दल का विषय नहीं है। हम सबको आत्मचिंतन करने की जरूरत है।

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उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने गांव, गरीब, मजदूर, महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए विशेष पहल की है। दलितों के कल्याण पर खासा ध्यान दिया है और उन्हें आर्थिक धारा में जोड़ने और वित्तपोषण करने की पहल की है।