नई दिल्ली। नोटबंदी के एक महीने बाद भी पर्याप्त मात्रा में कैश उपलब्ध नहीं होने पर भारतीय लोगों के साथ-साथ अब विदेशी सरकारें भी अपनी नाराजगी जताना शुरू कर चुकी हैं। कई विदेशी सरकारें अपने दूतावासों के नकदी पर सीमा लगाये जाने को लेकर निराश हैं वे इस कदम को विएना संधि का उल्लंघन बताते हुए विदेश में भारतीय मिशनों के खिलाफ भी ऐसे ही कदमों पर विचार कर रहे हैं।
157 विदेशी मिशनों का प्रतिनिधित्व करने वाले डीन ऑफ डिप्लोमैटिक कोर फ्रैंक हैंस डैनेनबर्ग कैस्टेलानोज ने कहा कि नोटबंदी पर फैसला पीएम मोदी को करना है और उन्हें इस मुद्दे के समाधान के लिए हस्तक्षेप करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यह तथ्य कि हम अपने बैंक खातों में जमा अपनी ही राशि तक पहुंच नहीं बना सकते और यह विएना संधि एवं अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक सिद्धांतों का गंभीर उल्लंघन है। यह काफी राजदूतों की मुख्य चिंता है। उन्होंने कहा कि प्रति सप्ताह 50,000 रूपये की निकासी की सीमा हटाई जानी चाहिए।
रूस ने भी भारत में नोटबंदी को लेकर राजनयिक स्तर पर सख्त विरोध जताते हुए ‘काउंटर स्टेप’ उठाने की चेतावनी दी है। रूस का कहना है कि इस नोटबंदी की वजह से दिल्ली में उसके राजनयिकों को नकदी की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है।