आजादी के 70 सालों बाद भी भगत सिंह को शहीद नहीं मानती है भारत सरकार, लेकिन अब होगा बदलाव

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भगत सिंह

केंद्र सरकार क्रांतिकारी भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को दस्तांवेजों में शहीद मानने की तैयारी में जुट गई है। इसके लिए गृह मंत्रालय ने काम शुरू कर दिया है। एक खबरिया वेबसाइट की खबर के मुताबिक गृह राज्यग मंत्री हंसराज गंगाराम अहीर ने इससे जुड़ी रिपोर्ट मांगी है। वेबसाइट का दावा है कि उन्होंजने संबंधित दस्तापवेज खासतौर पर आरटीआई की प्रति और इस पर राज्य सभा की कार्यवाही का ब्योैरा लिया। मंत्रालय के अधिकारियों से भी रिपोर्ट ली है।

अहीर ने कहा कि अंग्रेजों ने उन्हेंा भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को क्रांतिकारी आतंकी कहा था, लेकिन आजाद भारत में तो हम ऐसा नहीं कह सकते। इसलिए अब गृह मंत्रालय सभी जगहों पर रिकार्ड में सुधार करवाने का काम करेगा।

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भगत सिंह को शहीद का दर्जा दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे उनके प्रपौत्र एवं शहीद भगत सिंह ब्रिगेड के प्रमुख यादवेंद्र सिंह संधू भी गृह राज्य मंत्री से मिले।संधू ने उम्मी द जाहिर की है कि मोदी सरकार इस मांग को पूरा करेगी। जिस तरह से गृह राज्या मंत्री ने इस मसले को लेकर संजीदगी दिखाई है उसे देखते हुए लगता है कि सरकार इस बारे में काम करना चाहती है।

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रविवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ में कहा, भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु के बलिदान की गाथा को हम शब्दों में अलंकृत भी नहीं कर पाएंगे। ये तीनों वीर आज भी हम सबकी प्रेरणा के स्त्रोत हैं। तीनों वीरों की बहादुरी ब्रिटिश सरकार को डराती थी इसलिए अंग्रेजों ने भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु को तय दिन से एक दिन पहले ही फांसी दे थी और उनकी लाश को चुपचाप जला दिया था।

आरटीआई पर मनमोहन सरकार के दौरान राज्यर सभा सांसद केसी त्यानगी ने 19 अगस्तज 2013 को सदन में यह मुद्दा उठाया था। जवाब में तत्कादलीन संसदीय कार्य राज्यउ मंत्री राजीव शुक्ला0 ने कहा था कि सरकार पूरी तरह से भगत सिंह को शहीद मानती है और उन्हें शहीद का दर्जा देती है। लेकिन इसके बाद भी सरकारी दस्तानवेजों में यह सुधार नहीं किया गया। त्याीगी का कहना है कि संसद में की गई इस घोषणा पर अब तक अमल हो जाना चाहिए था, लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ है तो दुर्भाग्यपूर्ण है।

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