भारत में केंद्र सत्ताधारी बीजेपी सरकार के नोटबंदी के फैसले के खिलाफ विपक्ष के भारत बंद को लेकर असमजंस की स्थिति बनी हुई है। विपक्ष इस मुद्दे पर एकमत नहीं है। नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने खुद को पहले ही इससे अलग कर लिया है।
जेडीयू ने 26 नवंबर को कहा कि वह बंद में शामिल नहीं होगी। साथ ही 30 नवंबर को तृणमूल कांग्रेस की ओर से पटना में बुलाए गए धरने से भी खुद को किनारे किया है। जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष और सांसद वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि हम लोगों ने केंद्र सरकार के नोटबंदी का जोरदार समर्थन किया है। ऐसे में हम कैसे इसके विरोध में होने वाली गतिविधियों जैसे बंद अथवा धरना के हिस्सा होंगे। जेडीयू के महासचिव और राष्ट्रीय प्रवक्ता के सी त्यागी ने भी कहा कि जेडीयू नोटबंदी के विरोध में 28 नवंबर के ‘भारत बंद’ के साथ आगामी 30 नवंबर को ममता बनर्जी के धरना का हिस्सा नहीं बनेगी। उन्होंने कहा कि हमलोगों ने नोटबंदी को लेकर सैद्धांतिक मार्ग अपनाया है ऐसे में इसे वापस लेने के लिए आयोजित होने वाले कार्यक्रमों के हिस्सा बन सकते हैं।
सूत्रों का कहना है कि जेडीयू के फैसले के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सुप्रीमो ममता बनर्जी ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद से संपर्क किया है। लालू की पार्टी जेडीयू के साथ बिहार में सत्ता में साझेदार है। लालू नोटबंदी के खिलाफ है और सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना भी साधा है। टीएमसी के एक नेता ने बताया, जब ममता बनर्जी पटना में नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण समारोह में थीं तो वह नीतीश के घर से लालू के घर गई थीं। यहां पर उन्होंने ना केवल लालू बल्कि उनके पूरे परिवार से चर्चा की थी।” लालू के साथ ही ममता कांग्रेस के सहारे भी है। कांग्रेस भी बिहार में सत्ता में भागीदार है। नीतीश के रूख पर ममता बनर्जी ने निशाना साधते हुए कहा था कि वे किसी दबाव में भाजपा की लाइन को आगे बढ़ा रहे हैं।
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