मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए एक नया तरीका आज़माया है। सरकार नीजी निवेश को बढ़ाने के लिए, सार्वजनिक व्यय को बढ़ा कर अर्थव्यवस्था को गती देने की कोशिश कर रही है। इसमें खास बात यह है कि आम बजट 2016-17 में विभिन्न योजनाओ के लिए आवंटित राशी को समय पर खर्च करने पर जोर दिया जा रहा है।
इसका अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में आम बजट में आवंटित कुल योजनागत राशि में से 43 प्रतिशत धनराशि खर्च हो चुकी है जो बीते 20 साल में एक रिकार्ड है। इससे पहले दो दशकों में किसी भी सरकार के कार्यकाल में बजट में आवंटित योजनाओं राशि समय पर खर्च करने में इतनी तेजी नहीं रही है।
नियंत्रक महालेखा (सीजीए) के अनुसार वित्त वर्ष 2016-17 के पहले पांच महीनों में 2,36,680 करोड़ रुपये योजनागत व्यय हो चुका है जो कुल आवंटन 5.50 लाख करोड़ रुपये का 43 प्रतिशत है। पिछले साल समान अवधि में योजनागत व्यय मात्र 40 प्रतिशत रहा था। इस तरह पिछले साल की तुलना में चालू वित्त वर्ष में सरकार ने बजट में आवंटित योजनागत राशि को खर्च करने में तत्परता दिखायी है। यह तथ्य इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे पहले केंद्र सरकार में बजट में विभिन्न योजनाओं के लिए आवंटित राशि को वित्त वर्ष के अंत में खासकर चौथी तिमाही में खर्च करने की प्रवृत्ति थी। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने भी बजट की राशि अंतिम तिमाही में खर्च करने की सरकार के विभागों की इस प्रवृत्ति की समय-समय पर अपनी रिपोर्ट में खिंचाई की थी।
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