लोकसभा चुनावों के दौरान पंजाब में बड़ी राजनीतिक ताकत के रूप में उभरी आम आदमी पार्टी (आप) को विधानसभा चुनाव में भी राज्य की एक बड़ी ताकत के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि दिल्ली फतेह कर चुके अरविंद केजरीवाल की राह पंजाब में इतनी आसान भी नहीं है।जितनी लगती हैं। खतरा हर तरफ साफ दिख रहा हैं चाहे वो शिरोमणि अकाल दल, बीजेपी या कांग्रेस से हो लेकिन आम आदमी पार्टी को सबसे ज्यादा खतरा अपनी पार्टी के पूर्व सहयोगियों से है। वो सहयोगी जो असर तो सीमित इलाकों में रखते हैं लेकिन अगर वोटों के बंटवारे में सफल रहे तो आप को बड़ा झटका दे सकते हैं।
आम आदमी पार्टी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में अप्रत्याशित रूप से पंजाब की 13 में से 4 लोकसभा सीटों पर विजय पताका फहराई थी। उसे मिले 24.5 फीसदी वोट ने स्थापित पार्टियों खासकर शिरोमणि अकाली दल और कांग्रेस की नींव हिला दी। लेकिन इस समय केजरीवाल के चार में से तीन सांसद उनसे नाराज चल रहे हैं। डॉ. धर्मवीर गांधी और हरिंदर सिंह खालसा पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में निलंबित हैं।
डॉ. गांधी तो अलग फ्रंट बना रहे हैं। उनका कहना है कि केजरीवाल रास्ते से भटक गए हैं इसलिए पंजाब के 70 फीसदी कार्यकर्ता पार्टी से नाराज हैं। फरीदकोट से आप सांसद साधू सिंह भी टिकट बंटवारे को लेकर नाराज हो गए हैं। सिर्फ सांसद भगवंत मान ही पार्टी के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं।
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