होटल व रेस्तरां मे खाने की क्वालिटी और प्रेजेंटेशन पर इतना ध्यान दिया जाता है कि परोसते वक़्त उसकी मात्रा पर नियंत्रण दिया ही नहीं जाता, लिहाज़ा खाने की बर्बादी होना तो जैसे आम बात हो गई है। पर अब इस गतिविधि पर मोदी सरकार जल्द ही कार्यवाही करेगी। इसके लिए सरकार होटल-रेस्तरां में परोसे जाने वाले भोजन की मात्रा निर्धारित करने पर विचार कर रही है। वह भोजनालयों के लिए प्रश्नावली तैयार कर रही है, जिसमें परोसे जाने वाले व्यंजनों की मात्रा के बारे में पूछा जाएगा। उपभोक्ता मंत्रालय का कहना है कि अगर कोई दो इडली खाता है तो उसे चार इडली क्यों परोसी जाएं। यह भोजन के साथ जनता के पैसों की भी बर्बादी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में इस मुद्दे को उठाया था। उनका कहना था कि एक ओर देशभर में शादी-पार्टियों के आयोजन और होटलों में बड़ी मात्रा में खाने की बर्बादी होती है तो दूसरी ओर सैकड़ों लोगों को भूखे पेट ही सोना पड़ता है। इस पर केंद्रीय उपभोक्ता मंत्री राम विलास पासवान ने होटल, रेस्तरां में व्यंजनों की मात्रा निर्धारित करने की कवायद शुरू कर दी है। पासवान ने कहा कि भोजन की मात्रा निर्धारित करने के लिए होटल-रेस्तरां मालिकों से राय ली जाएगी। वे इस मामले के जानकार हैं। वे हमें बता सकते हैं कि एक व्यक्ति भोजन में अधिकतम कितनी मात्रा ले सकता है। इसके लिए हम बड़े साझेदारों के साथ बैठक करेंगे।
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