राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आधिकारिक भाषाओं पर बनी संसदीय समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है। इस समिति की सिफारिशों के मुताबिक अब राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मंत्री अब सिर्फ हिंदी में ही भाषण देने का प्रस्ताव रखा गया था जिसे राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया है। खबर की माने तो ,अब जो अगला राष्ट्रपति बनेगा वह हिंदी में ही भाषण देगा। प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिमंडल के अधिकांश सहयोगी हिंदी में ही भाषण देते हैं। प्रणब मुखर्जी ने सिफारिश को प्रधानमंत्री कार्यालय, सभी मंत्रियों और राज्यों को भेजा दिया है।
प्रणब मुखर्जी ने साथ ही कई और सिफारिशों को भी अपनी मंजूरी दी है, जिनमें एयर इंडिया की टिकटों पर हिंदी का उपयोग और एयरलाइंस में यात्रियों के लिए हिंदी अखबार तथा मैगजीन होने की बात को भी मुख्यता दी गई है। वहीं, इसे केवल सरकारी एयरलाइंस तक ही रखा गया है।
इसके साथ ही सरकारी भागीदारी वाली निजी कंपनियों में बातचीत के लिए हिंदी को अनिवार्य करने तथा निजी कंपनियों के लिए अपने उत्पादों के नाम और संबंधित सूचना को हिंदी में बाच की सिफारिश की गई है। आधिकारिक भाषा पर संसद की इस समिति ने 1959 से राष्ट्रपति को अब तक 9 रिपोर्ट्स दी हैं। 2011 में इस समीति ने रिपोर्ट दी थी जिसके अध्यक्ष पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम थे।