बुधवार को नोटबंदी के विरोध में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ने बुधवार को राष्ट्रपति भवन तक मार्च निकाला। ममता राष्ट्रपति से मिलकर उन्हें ज्ञापन सौंपेगी। आपको बता दे, जब से मोदी सरकार ने 500 और 1000 के नोट बंद का ऐलान किया है तब से लगातार ममता बनर्जी लगातार इस फैसले का विरोध कर रही हैं।
इस मार्च में टीएमसी के अलावा शिवसेना, नेशनल कॉन्फ्रेंस और आम आदमी पार्टी ने हिस्सा लिया। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मार्च में शामिल नहीं हुए।
वहीं जेडीयू प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि होमवर्क थोड़ा कम हुआ है, इसलिए जहां संसद में सब एक साथ है वहां टीएमसी राष्ट्रपति से मिलने के लिए जा रही है। राष्ट्रपति से मिलने के मसले पर त्यागी ने कहा कि टीएमसी ने बाकी दलों से बातचीत की पर राष्ट्रपति से समय लेने के बाद। ममता जी ने नीतीश जी से भी बात कि है पर सबको साथ समय लेना चाहिए था।
इस सब के बीच सरकार के लिए सबसे बड़ा रोड़ा उनका सहयोगी शिवसेना ही आ बना है। सोमवार को शिवसेना ने पहले एनडीए की बैठक में एकजुटता का भरोसा दिया था। लेकिन उद्धव ठाकरे को ममता बनर्जी के फोन के बाद शिवसेना ने ऐलान कर दिया कि नोटबंदी के खिलाफ विपक्षी मार्च में वह भी शामिल होगें। हालांकि मार्च में शिवसेना के शामिल होने पर केजरीवाल ने आपत्ति जताई है। केजरीवाल ने ममता बनर्जी से कहा कि विरोधी मार्च में शिवसेना शामिल हुई तो आप साथ नहीं देगी। केजरीवाल की शर्तों पर टीएमसी सांसद डेरेक ओब्रायन ने कहा कि ये बाकी दलों पर है कि वो क्या करते हैं, ममता ने जनता की समस्या उठाई है।