भारतीय सेना की दो टूक, कहा ‘अगर जरूरत पड़ी तो फिर करेंगे सर्जिकल स्ट्राइक’

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कमिटी की बैठक से पहले कुछ विवाद भी हुआ। आर्मी की ब्रीफिंग का कार्यक्रम तय होने के बाद बाद में रद्द किए जाने को लेकर कांग्रेस ने प्रदर्शन किया था। शुक्रवार सुबह एक बार फिर अजेंडा बदला और लेफ्टिनेंट जनरल रावत ने सांसदों से मुलाकात की। रावत ने पूरे ऑपरेशन की जानकारी सांसदों को दी। यह भी बताया कि आतंकी कैंपों को कितना नुकसान हुआ और भारत में घुसपैठ के लिए कितने आतंकी उन लॉन्च पैड्स पर इकट्ठा हुए थे। रावत के मुताबिक, मिशन को अंजाम देकर सभी भारतीय सैनिक सुरक्षित वापस लौट गए।

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मिलिटरी अफसर ने कहा कि सेना का मिशन आत्मरक्षा के लिए था। सेना को इस बात के पक्के सबूत मिले थे कि आतंकी विभिन्न जगहों से भारत में घुसपैठ करने वाले हैं, और बड़ा नुकसान पहुंचाने की फिराक में हैं। कमिटी के सदस्यों को बताया गया कि इस साल हुए पठानकोट हमले के बाद से ही सैन्य कार्रवाई के विकल्प के बारे में विचार किया जा रहा था। उड़ी के हमले ने सेना को इस विकल्प का इस्तेमाल करने के लिए मजबूर कर दिया। कमिटी के चेयरमैन ने बताया, ‘वाइस चीफ की ओर से दी गई जानकारी से अधिकतर सदस्य संतुष्ट थे इसलिए कोई सवाल नहीं पूछे गए।’

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गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर के उरी में भारतीय सेना के ब्रिगेड मुख्यालय पर आतंकवादी हमले के बाद सेना ने 28-29 सितंबर की दरम्यानी रात नियंत्रण रेखा पार कर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकवादियों के लॉन्च पैडों और सात आतंकी प्रशिक्षण शिविरों को ध्वस्त किया, जिसे सर्जिकल स्ट्राइक नाम दिया गया। सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर संसदीय समिति की शुक्रवार की ब्रीफिंग पहले से तय थी। लोकसभा की वेबसाइट पर जारी एजेंडे में समिति के ई-डाक मतपत्र प्रणाली के बारे में चर्चा की बात कही गई थी।

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