नई दिल्लीः तुर्की के प्रेसिडेंट रीसेप तायिप एर्दोगन भारत यात्रा पर आए हुए हैं। आज एर्दोगन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मिलने राष्ट्रपति भवन में पहुंचगें। वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सुषमा स्वराज से भी मुलाकात करेंगे। और एर्दोगन ने सुझाव दिया है कि कश्मीर मसले के हल और क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए भारत-पाकिस्तान को बातचीत करनी चाहिए। बताया जा रहा है कि पीएम मोदी और एर्दोगान के बीच आर्थिक संबंधों एवं आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सहयोग पर बातचीत होगी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगान के स्वागत में आज राष्ट्रपति भवन में एक समारोह आयोजित किया जाएगा। इसके बाद वे राजघाट जाकर महात्मा गांधी की समाधि पर पुष्पांजलि आर्पित करेंगे।
गौरतलब है कि 16 अप्रैल को तुर्की में हुए जनमत संग्रह में जीत के बाद एर्दोगान ने अपना कूटनीतिक दायरा बढाना शुरू किया है। हाल ही में अपने देश में राष्ट्रपति प्रणाली के शासन पर जनमत संग्रह में जीत हासिल करने के बाद एर्दोगान तुर्की के बेहद ताकतवर नेता बन कर उभरे हैं। इस जीत के बाद यह उनका पहला विदेश दौरा है। भारत की निगाहें पाकिस्तान के भी करीबी इस देश से परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी), संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता के साथ-साथ आतंकवाद पर अपने रुख के लिए समर्थन हासिल करना है। इसी वजह से एर्दोगान भारत दौरे पर आए हैं।
इर्दोगान की यात्रा से पहले भारत ने तुर्की और पाकिस्तान के बीच नजदीकी के साथ ही जम्मू कश्मीर पर अंकारा के बयानों को तवज्जों नहीं देने का प्रयास किया और कहा कि सरकार इससे अवगत है कि तुर्की का पाकिस्तान के साथ बहुत नजदीकी संबंध है। और यह उनका द्विपक्षीय मामला है।
विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) रूचि घनश्याम ने कहा, हमने हमेशा ही इस बात पर जोर दिया है कि भारत-तुर्की संबंध अपने बल पर कायम है। हमारा मानना है कि तुर्की पक्ष हमारी भावनाओं को साझा करता है। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर पर भारत का यह रूख बहुत अच्छी तरह से ज्ञात है कि यह देश का अभिन्न हिस्सा है। उन्होंने कश्मीर समस्या के हल के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाने का भी प्रस्ताव दिया। हालांकि एर्दोगान के बयान को लेकर भारत ने स्पष्ट किया है कि यह भारत का आंतरिक मामला है।