विकासशील देशों की सूची से बाहर हुआ भारत, लोअर मिडिल इनकम कैटेगरी में शामिल

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भारत के लिए इसी के बड़ा झटका ही कहिए कि अब हमारे देश की गिनती विकासशील देशों में नहीं होगा। अबतक दुनिया में भारत की पहचान एक विकासशील देश के तौर पर थी लेकिन विश्व बैंक ने ऐसा मानने से इनकार कर दिया है। विश्व बैंकके मुताबिक अब भारत देश लोअर मिडिल इंकम वाले देशों की सूची में शुमार किया जाएगा। विश्व बैंक के इस फैसले से एक तो भारत अब ब्रिक्स देशों के बीच सबसे नीचे वर्गीकृत हो गया है और साथ ही उसकी आर्थिक स्थिति को पाकिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, म्यांमार, जाम्बिया और घाना जैसे देशों के साथ कर दिया गया है।

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बीते कई दशकों से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देशों के आर्थिक स्तर का वर्गीकरण करने के लिए विकासशील और विकसित (डेवलपिंग और डेवेलप्ड) के मापदंड को माना जाता रहा। लेकिन अब दलील दी जा रही है कि ये वर्गीकरण देशों के वास्तविक आर्थिक स्थिति को नहीं दर्शाते। लिहाजा इसके इस्तेमाल को बंद करते हुए विश्व बैंक अब देशों को उनके ग्रॉस नैशनल इंकम (जीएनआई) के आधार पर चार कैटेगरी में बांटेगा।

वर्ल्‍ड बैंक की तरफ से कहा गया है कि मलावी और मलेशिया दोनों विकासशील देशों में गिने जाते हैं। लेकिन अर्थव्‍यवस्‍था की दृष्टि से देखें तो मलावी का आंकड़ा 4.25 मिलियन डॉलर है जबकि मलेशिया का 338.1 बिलियन डॉलर है। नए बंटवारे के बाद अफगानिस्‍तान, नेपाल लो इनकम में आते हैं। रूस और सिंगापुर हाई इनकम नॉन ओईसीडी और अमेरिका हाई इनकम ओईसीडी कैटेगिरी में आता है। नई श्रेणियों को निर्धारण वर्ल्‍ड बैंक ने कई मानकों के आधार पर किया है। इनमें मातृ मृत्‍यु दर, व्‍यापार शुरू करने में लगने वाला समय, टैक्‍स कलेक्‍शन, स्‍टॉक मार्केट, बिजली उत्‍पादन और साफ-सफाई जैसे मानक शामिल हैं।

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नए वर्गीकरण के मुताबिक जिन देशों का ग्रॉस नैशनल इंकम (प्रति व्यक्ति) 1,045 डॉलर से कम है उन्हें लो इंकम देश या अर्थव्यवस्था कहा जाएगा। वहीं जिन देशों में ये आय 1,046 डॉलर से लेकर 4,125 डॉलर के बीच रहती है उन्हें लोअर मिडिल इंकम देश कहा जाएगा। वहीं जीएनआई 4,126 डॉलर से लेकर 12,735 डॉलर के बीच है तो देश अपर मिडिल इंकम इकोनॉमी कहलाएगी और सबसे ऊपर दुनिया की उन अर्थव्यवस्थाओं को हाई इंकम इकोनॉमी कहा जाएगा जहां जीएनआई 12,736 डॉलर से ऊपर रहती है।

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 विश्व बैंक की हाल में जारी हुई वर्ल्ड डेवलपमेंट इंडिकेटर 2016 रिपोर्ट मे इस नए वर्गीकरण को आधार बनाया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक कई अन्य मदों में भारत की तुलना वैश्विक औसत से करने पर कुछ यूं तस्वीर सामने आती है।