1950 के दशक के मध्य में शहरी भारत में उच्च रक्तचाप का प्रसार 1.2 फीसदी से 4.0 फीसदी तक था, जो कि एचओओ ब्लड प्रेशर डायग्नोसिस दिशानिर्देशों पर आधारित था– डायस्टोलिक रक्तचाप 95 एमएमएचजी से अधिक, सिस्टोलिक रीडिंग 160 मिली एचजी से अधिक ।
1960 के दशक में इसके प्रसार में 5 फीसदी की वृद्धि हुई जबकि 1990 के दशक में 12 फीसदी से 15 फीसदी का हुआ। आज, लगभग 33 फीसदी शहरी भारतीय संशोधित डब्लूएचओ दिशानिर्देशों के आधार पर उच्च रक्तचाप वाले हैं- डायस्टोलिक रक्तचाप 90 मिमी एचजी से अधिक और सिस्टॉलिक रीडिंग 140 मिमी एचजी से अधिक ।
वर्ष 2014 के एक अध्ययन ‘हाईपरटेंशन इन इंडिया: सिसटेमैटिक रिव्यू एंड मेटा एनालेसिस ऑफ प्रिवेलेंस, एवेयरनेस एंड कंट्रोल ऑफ हाईपरटेंशन’ के अनुसर शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच उच्च रक्तचाप प्रसार में महत्वपूर्ण असमानता मौजूद है। विभिन्न क्षेत्रों के बीच भी व्यापक असमानता देखी गई है।
ग्रामीण भारत में, उत्तर की तुलना में पूर्व में दोगुना प्रसार देखा गया है। पूर्व के लिए यह आंकड़े 31.7 फीसदी रहे हैं जबकि उत्तर के लिए 14.5 फीसदी रहे हैं।
क्षेत्र के अनुसार उच्च रक्तचाप का प्रसार
