भिवानी। हरियाणा की महिला कबड्डी टीम की कैप्टन निर्मला प्रजापति राष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए सड़क किनारे अपनी मां के साथ बर्तन बेच रही है। निर्मला के घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। उसके पास तमिलनाडु जाने के लिए किराया नहीं और न ही वहीं रहने के लिए रुपये हैं। इसलिए वो मिट्टी के बर्तन बेच कर पैसे जुटा रही है।
ओलंपिक में जाने की तम्मना रखने वाली निर्मला आर्थिक तंगी के कारण सोनीपत में हो रही स्टेट रूरल महिला कबड्डी प्रतियोगिता में भी नहीं खेल पाई। अब राष्ट्रीय प्रतियोगिता में जाने के लिए मां के साथ फुटपाथ पर रेहड़ी लगाकर पैसा कमा रही है, ताकि अपनी साथी खिलाड़ियों के साथ 24 अगस्त को तमिलनाडु में होने वाली प्रतियोगिता में हरियाणा की टीम का प्रतिनिधित्व कर सके। तमिलनाडु तक पहुंचना, वहां रहना, एंट्री पीस का खर्च उठाने में निर्मला का परिवार सक्षम नहीं है।
जिले के कस्बा चरखी दादरी निवासी निर्मला प्रजापति ने पिछले दिनों शानदार प्रदर्शन करते हुए महाराष्ट्र में हुए छठे इंडियन रूरल गेम्स में हरियाणा टीम का प्रतिनिधित्व किया और हरियाणा को स्वर्ण पदक दिलाया। पारिवारिक बैकग्रांउड कमजोर होने और खेल संसाधनों के अभाव के बावजूद कबड्डी में यह सफलता के नये आयाम रच रही हैं।
निर्मला के पिता दादरी में फलों की रेहड़ी लगाते हैं तो मां दादरी में ही रोज गार्डन के पास फुटपाथ पर मिट्टी के बर्तन बेचकर अपने परिवार का गुजारा चलाती हैं। पांच भाई-बहनों में दूसरे नंबर की निर्मला प्रजापति में खेलने का जज्बा है। दिन में माता-पिता के कार्य में हाथ बंटाती हैं और सुबह-शाम ग्राऊंड पर कड़ी मेहनत करती हैं।