आईटीएफ ने आठ जून को डोपिंग की दोषी पाए जाने पर शारापोवा पर दो साल का प्रतिबंध लगाया था। रूसी खिलाड़ी ने इस प्रतिबंध के खिलाफ नौ जून को सीएएस में अपील दायर की थी। इस प्रतिबंध के कारण विश्व की पूर्व नंबर-1 खिलाड़ी रियो ओलंपिक-2016 में हिस्सा नहीं ले पाई थीं।
गौरतलब है कि पांच बार ग्रैंड स्लैम खिताब जीत चुकीं शारापोवा इसी साल ऑस्ट्रेलियन ओपन के दौरान मेल्डोनियम के सेवन की दोषी पाई गई थीं, जिसके बाद आईटीएफ ने उन पर प्रतिबंध लगाया था। हालांकि सीएएस ने अपने फैसले में स्पष्ट कर दिया है कि शारापोवा पर 15 महीने का प्रतिबंध लागू होगा, जो 26 जनवरी, 2016 से माना जाएगा।
सीएएस ने 26 जनवरी, 2016 को शारापोवा द्वारा अर्जित किसी तरह की जीत या वर्ल्ड रैंकिंग से उन्हें वंचित रखने का फैसला किया है। शारापोवा को उम्मीद थी कि आईटीएफ उनके प्रतिबंध को लेकर कोई समाधान निकालेगा।
सीएएस का फैसला आने के बाद शारापोवा ने अपने फेसबुक पर लिखा, “मैंने शुरुआत से ही यह जिम्मेदारी ली थी कि मैंने पिछले 10 सालों से उस पदार्थ का सेवन किया है जिसे अब प्रतिबंधित कर दिया गया है।”
उन्होंने लिखा है, “लेकिन मुझे यह भी पता चला कि अन्य महासंघ कितने अच्छे तरीके से अपने खिलाड़ियों को नियमों में बदलाव के बारे में बताते हैं, खासकर पूर्वी यूरोप में जहां मिलड्रोनेट लाखों लोगों द्वारा उपयोग में लिया जाता है।”
शारापोवा ने लिखा, “अब यह प्रक्रिया खत्म हो चुकी है। मुझे उम्मीद है कि आईटीएफ और टेनिस की अन्य डोपिंग रोधी संस्थाएं अन्य महासंघों से सबक लेंगी, ताकि किसी और टेनिस खिलाड़ी को इन सब चीजों से न गुजरना पड़े जिससे मैं गुजरी।”
गौरतलब है कि मेल्डोनियम को वाडा ने एक जनवरी 2016 को अपने प्रतिबंधित पदार्थों की सूची में शामिल किया था।