रैगिगं की बढ़ती घटनाओं और हादसों को देखते हुए देश की सबसे बड़ी अदालत ने इसपर पूरी तरह प्रतिबंध लगा रखा है। ऐसे में सीनियर छात्रों के साथ-साथ कालेज प्रशासन और यूनिवर्सिटीज़ को भी रैगिंग को रोकने के आदेश दिए जा चुके हैं। बावजूद इसके ये खतरनाक खेल अभी तक जारी है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, जिस जगह पर फ्रेशर रहते हैं वहां की वार्डन को इस बात का ख्याल रखना होता है कि स्टूडेंट्स को किसी तरह की परेशानी ना हो। रात को निश्चित वक्त के बाद सीनियर्स और आउट साइडर्स की एंट्री भी बंद कर दी जाती है। ऐसी किसी घटना को रोकने के उद्देश्य से ही ऐसे नियम बनाए गए हैं।
आंकड़े बताते हैं कि रैगिंग के नाम पर हर साल देश के कई नौजवान और युवा छात्र दम तोड़ देते हैं। कोई रैगिंग के सितम को सह नहीं पाता तो कोॆई इससे तंग आकर खुद ही मौत को गले लगा लेता है।
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