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एक अधिकारी ने कहा, ‘हमने अपने जवानों से कहा कि पैरों पर फायर करें। डिफ्लेक्टर के इस्तेमाल से इस बात की सिर्फ 2 फीसदी आशंका होगी कि छर्रा ऊपरी हिस्से पर लगे, जबकि पहले यह आशंका 40 फीसदी होती थी।’ हालांकि CRPF ने यह भी साफ किया है कि पिछले साल की तुलना में कश्मीर के हालात उतने खराब नहीं रह गए हैं। पत्थरबाजी की घटनाओं में भी कमी आई है।
बता दें कि पिछले साल हिजबुल मुजाहिद्दीन के कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद घाटी में हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान पेलेट गन का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हुआ था। पेलेट गन के छर्रों से सैंकड़ों प्रदर्शनकारी गंभीर रूप से घायल हुए थे, ज्यादातर को आंखों में चोट आई थी। इसे लेकर काफी सियासत भी हुई थी, जिसे देखते हुए पेलेट गन का इस्तेमाल रोक दिया गया था। उसकी जगह मिर्च से बनाए गए पावा शेल्स का इस्तेमाल शरू किया गया था।
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