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खान के अनुसार, कांग्रेस का आजादी की लड़ाई में अहम रोल रहा और स्वतंत्रता हासिल करने के 50 साल के बाद तक कई बड़ी घटनाओं के बावजूद मुसलमान कांग्रेस के साथ रहे। उन्होंने कहा कि हालांकि बाबरी मस्जिद की घटना, ‘शिलान्यास’ वाकये ने इस समुदाय को आहत किया और इससे मुसलमान समुदाय को यह भी सोचने पर मजबूर होना पड़ा कि क्या उसने 1947 में पाकिस्तान नहीं जाकर गलती की थी।
आजम खान ने कहा, “हम क्लीन चिट (कांग्रेस को) नहीं दे रहे हैं, हम कम बुरे को चुन रहे हैं।” खान ने अपने इस बयान पर सफाई देते हुए कहा कि कम बुरा का मतलब यह है कि उन्हें कांग्रेस की मजबूरियों के बारे में पता नहीं है, जबकि बीजेपी और आरएसएस का एजेंडा दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ है।
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