यूपी सरकार में मंत्री और सपा नेता आजम खान का कहना है कि यूपी में कांग्रेस के साथ गठबंधन करना ‘कम बुरे’ को चुनने जैसा है। उन्होंने कहा कि बीजेपी से मुकाबला करने के लिए धर्मनिरपेक्ष ताकतों को एक साथ आने की जरूरत है और इसी वजह से गठबंधन किया गया।
खान ने प्रतिद्वंद्वी पार्टी बसपा पर निशाना साधते हुए कहा कि मुसलमानों को 97 टिकट देना पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि मायावती की अगुवाई वाली यह पार्टी अगर मुसलमानों को लुभाना चाहती है, उसे 403 सीटें इसी समुदाय के प्रतिनिधियों को देनी चाहिए थी।
आजम ने कहा, “राजनीति की प्रयोगशाला में राजनीति विज्ञान के प्रयोग होते हैं…बिहार में महागठबंधन का प्रयोग हुआ। बिहार में यह प्रयोग सफल रहा और आम लोगों के बीच राय थी कि समान विचारधारा वाले धर्मनिरपेक्ष या इसके करीब लोगों या जो लोग कभी धर्मनिरपेक्ष रहे हैं, लेकिन राजनीतिक मजबूरियों के कारण रास्ता भटक गए हैं और फिर से इस पर आने चाहते हैं, उन्हें एकसाथ आना चाहिए और मिलकर चुनाव लड़ना चाहिए।” खान ने कांग्रेस के साथ मिलकर यूपी विधानसभा चुनाव लड़ने के समाजवादी पार्टी के फैसले के बारे में पूछे जाने पर यह बात कही। खान पहले कांग्रेस पार्टी की आलोचना को लेकर काफी मुखर रहे हैं और वह पार्टी को मुसलमान समुदाय के साथ झूठ वादे करने का दोषी भी ठहरा चुके हैं।
उन्होंने कहा कि मुसलमानों का कांग्रेस के साथ रिश्ते का लंबा इतिहास रहा है और यह सिलसिला आजादी की लड़ाई के वक्त से ही है। मौलाना आजाद, मोहम्मद अली जिन्ना और अल्लामा इकबाल पार्टी के अध्यक्ष या अहम नेता रहे हैं।
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